हिंदी पत्रकारिता दिवस पर गोजए ने किया संगोष्ठी का आयोजन

पत्रकार जगदीश लाल श्रीवास्तव और देवरिया के पत्रकार धनंजय मणि त्रिपाठी को लाइफटाइम अचीवमेंट सम्मान प्रदान किया गया

दिनेश चंद्र मिश्र (जिला प्रभारी ):गोरखपुर। जनपक्ष धरता पत्रकारिता की सबसे बड़ी कसौटी होती है। जनपक्षधरता के साथ पत्रकारिता कठिन तो है, पर जहां इसे विस्मृत किया जाता है ,पत्रकारिता के समक्ष विश्वास का संकट उत्पन्न हो जाता है।

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उक्त विचार आज गोरखपुर जर्नलिस्ट एसोसिएशन और प्रेस क्लब गोरखपुर के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी पत्रकारिता दिवस पर आयोजित गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ व्यंग्यकार श्री रणविजय सिंह ने व्यक्त किया। पत्रकारिता कितनी स्वतंत्र विषय पर बोलते हुए श्री सिंह ने कहा कि अखबार की ताकत 1977 और 1989 के सत्ता परिवर्तन से आंकी जा सकती है। उन्होंने कहा कि पत्रकार को भाषा की स्वतंत्रता तो है ,पर उसे भाषा ही उश्रृंखलता से बचना होगा।मुख्य अतिथि के रुप में बोलते हुए बुंदेलखंड और सिद्धार्थनगर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, साहित्यकार प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे ने कहा कि आज भी समाज में एक बड़ा वर्ग है जो अखबार में लिखी गई बात को पूरे विश्वास के साथ मानता है। पत्रकार को इस भरोसे को बचाए रखने का प्रयास करना होगा। पत्रकार के लिए उसका उद्देश्य तय होना जरूरी है। पत्रकारिता का लक्ष्य लोक मंगलकारी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सत्ता का जो चरित्र अंग्रेजों के समय था, आज भी उसके चरित्र में कोई भी अंतर नहीं आया है। उन्होंने कहा कि पत्रकार की सत्ता से टकराहट रोकी नहीं जा सकती। उन्हें इस टकराहट के साथ ही अपनी पत्रकारिता को आगे बढ़ाना होगा।

बसंतपुर चौराहा स्थित पुष्पांजलि होटल के सभागार मेंआयोजित समारोह के दौरान गोरखपुर के वरिष्ठ पत्रकार श्री जगदीश लाल को लगभग पांच दशक की सारगर्भित पत्रकारिता के लिए कालजई पत्रकार ज्ञान प्रकाश राय (ज्ञान बाबू )स्मृति लाइफटाइम अचीवमेंट सम्मान 2023 प्रदान किया गया, जबकि आंचलिक पत्रकारिता के लिए देवरिया के वरिष्ठ पत्रकार धनंजय मणि त्रिपाठी को सत्यार्थी डॉ राम दरस त्रिपाठी स्मृति लाइफटाइम सम्मान दिया गया।

समारोह की शुरुआत में विषय प्रवर्तन करते हुए दैनिक हिंदुस्तान के वरिष्ठ पत्रकार अरविंद राय ने कहा कि पत्रकारिता मानसिकता में निष्पक्ष दिखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता सदैव स्वतंत्र रही है। कमजोर संबंधित पत्रकार हो सकता है। उनके अनुसार संस्थान बहुधा पत्रकारों की कलम में हस्तक्षेप नहीं करते। पत्रकारों ने मौके पर जाना छोड़ दिया है। उनके अनुसार पत्रकारों को अपना खोया विश्वास पुनः अर्जित करना होगा।मुख्य वक्ता डॉ एस पी त्रिपाठी ने कहा कि आज एडवर्टाइजमेंट ने इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म को खत्म कर दिया है। हिंदी पत्रकारिता को खोज परख समाचारों से परिपूर्ण करना ही हिंदी पत्रकारिता के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

विशिष्ट अतिथि आकाशवाणी के मनीष तिवारी ने कहा कि पत्रकारिता का सदैव सत्ता से संघर्ष रहा है, पर आज समझौते अधिक होने लगे हैं। पत्रकारों को अपने भीतर सुधार करना होगा। समारोह का संचालन मृत्युंजय नवल ने किया । समारोह के प्रारंभ में गोजए अध्यक्ष रत्नाकर सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया तथा गोजए की भावी योजनाओं पर प्रकाश डाला। जबकि समापन के समय महामंत्री मनोज श्रीवास्तव गणेश ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। अंत में राष्ट्रगान के साथ समारोह समाप्त हुआ।

इस अवसर पर मुख्य रूप से वागीश श्रीवास्तव और सुमित श्रीवास्तव, अरुण सिंह, मौली शेखर, मृत्युंजय शंकर सिंहा, वहाब खान, उदय प्रकाश पांडे, मनोज नवल, तौकीर आलम, अरकान, रवि राय, अमन मिश्रा, संजीव टोनी, अंकज धर द्विवेदी, आत्मा गुप्ता, एडवोकेट प्रदीप त्रिपाठी, रमेश तिवारी, रवी शंकर पाठक, दयाराम सोनकर, महेश पांडे ,शैलेंद्र सिंह ,धरणीधर राम त्रिपाठी, संतोष मणि, हरीश पांडे, मुर्तजा रहमानी आदि बड़ी संख्या में पत्रकार उपस्थित थे।

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