सिविल कोर्ट गोरखपुर की बदहाल सुरक्षा व्यवस्था राम भरोसे, कोने में फेंका मेटल डिटेकटर

पूरे कोर्ट परिसर की सुरक्षा राम भरोसे-रत्नाकर सिंह एडवोकेट,पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष

दिनेश चंद्र मिश्र (जिला प्रभारी ):गोरखपुर। पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष,प्रत्याशी अध्यक्ष पद सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन, गोरखपुर एडवोकेट रत्नाकर सिंह ने बुधवार को लखनऊ कोर्ट में अपराधियों के द्वारा किए गए वारदात और प्रशासन सहित सुरक्षा व्यवस्था पर प्रश्नगत चिंता जाहिर करते हुए गोरखपुर के कोर्ट परिसर की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाये। उन्होंने कहा कि लखनऊ एडीजे कोर्ट में जिस प्रकार एक दुर्दांत अपराधी को चलते हुए कोर्ट रूम में गोलियों से भून दिया गया। एक बच्ची को चोट लगी और एक पुलिस सिपाही को भी पैर में गोली लगी।

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जब यह घटना लखनऊ ऐसे अत्यंत ही संवेदनशील और प्रदेश की राजधानी के कोर्ट रूम में हो सकती है, तो शायद प्रदेश का कोई भी कोर्ट इससे अछूता नहीं है। गोरखपुर की भी स्थिति काफी विध्वंसक है। तमाम माफिया आए दिन सरेंडर कर रहे हैं। उनको चाहने वाले उनके विरोधी हथियार लेकर कभी भी अंदर आ सकते हैं और चित्र में आप देखें सिविल कोर्ट गोरखपुर के अंबेडकर चौराहे की तरफ स्थित मुख्य गेट से जहां से वकीलों और आम आदमियों का बड़ी संख्या में आना जाना है, वहां पर लगा मेटल डिटेक्टर किस हालत में है । यह अधिवक्ताओं की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ ही तो है।

यहां 4-5 सिपाही ड्यूटी पर रहते हैं खानापूर्ति के लिए एक या दो महिला या बुजुर्ग का झोला चेक कर लिया जाता है। हाथ के मेटल डिटेक्टर से किसी की चेकिंग नहीं होती है। कहीं सिपाही टेलीफोन पर बात करते रहते हैं तो कहीं सिपाही सुरती बनाते रहते हैं और पूरे कोर्ट परिसर की सुरक्षा राम भरोसे है। कभी-कभी आला हकीम सुध लेने के लिए भारी मात्रा में पुलिस फोर्स और कुत्तों को लेकर वकीलों को डराने के उद्देश्य बड़ी बड़ी आधुनिक हथियार लेकर परिसर में घूम जाते हैं।

उन्होंने कहा कि सुरक्षा के साथ मजाक कब तक चलेगा। कौन व्यक्ति आ रहा है, कौन व्यक्ति अपनी झोली में क्या छुपा रखा है,तमाम लोगों को मोटरसाइकिल से आते हुए भी परिसर में देखा जा रहा है जबकि आम अधिवक्ताओं की गाड़िया बाहर लावारिस रहती है।इस स्थिति में अपराधी कभी भी बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं।अगर कोई हादसा हो जाएगा तो कौन जिम्मेदार होगा।

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