संविधान सुरक्षा की गारंटी के लिए बहराइच में कैंडल मार्च

SC/ST/OBC वर्गों का संवैधानिक प्रतिनिधित्व (आरक्षण) पूरा किया जाए, देश में प्रत्येक जातियों की गणना कराई जाए, सरकारी संस्थानों का निजीकरण बंद हो, लेटरल इंट्री पर रोक लगाई जाए,देश की महिलाओं, एससी, एसटी, ओबीसी तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा,संरक्षा व अधिकारों के किया जा रहा भेदभाव तथा उत्पीड़न बंद हो। कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल किये जाने की भी मांग उठी

बहराइच। संविधान सुरक्षा की गारंटी और अन्य विभिन्न मुद्दों को लेकर वीआईपी संघ के बैनर तले कैंडल मार्च बहराइच शहर की सड़कों पर निकला। लगभग 14 संगठनों ने मिलकर कैंडल मार्च निकाला। यह कैंडल मार्च इंदिरा गांधी स्टेडियम से निकल कर डिघिया तिराहा, छावनी चौराहा, घंटाघर,पीपल तिराहा होकर अम्बेडकर पार्क पर समाप्त हुआ। इस अवसर पर राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौपा गया। ज्ञापन देकर कर संविधान सुरक्षा की गारंटी, एससी/एसटी, ओबीसी वर्गों का संवैधानिक प्रतिनिधित्व (आरक्षण) पूरा किया जाए, देश में प्रत्येक जातियों की गणना कराई जाए, सरकारी संस्थानों का निजीकरण बंद हो, लेटरल इंट्री पर रोक लगाई जाए, देश की महिलाओं, SC/ST/OBC तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा,संरक्षा व अधिकारों के किया जा रहा भेदभाव तथा उत्पीड़न बंद हो। कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल किये जाने की मांग की।

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वीआईपी के संरक्षक एडवोकेट रामेश्वर पवन ने कहा कि भारत का संविधान समस्त देशवासियों को धर्म, संप्रदाय, वर्ग, जाति, भाषा, लिंग, क्षेत्र आदि किसी भी भेदभाव के बिना सभी को समान रूप से राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक (सांस्कृतिक)और आर्थिक अधिकार देता है। संविधान हम सभी भारतीयों के लिए राष्ट्रीय धर्म ग्रंथ है। तथापि संविधान की शपथ लेकर शासन-प्रशासन और उससे सम्बन्धित महत्वपूर्ण पदों पर आसीन लोगों द्वारा निरंतर संविधान के दिशा निर्देशों की उपेक्षा करके संविधान के विपरीत कार्य करके किया जा रहा है, जो लोक कल्याणकारी लोकतंत्र के लिए बहुत ही घातक है।
संविधान प्रदत्त प्रतिनिधित्व (आरक्षण) का अनुपालन न करके एससी/ एसटी एवं ओबीसी वर्गों को संविधान प्रदत्त से वंचित किया जा रहा है। अभी हाल ही में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा ग्राम पंचायत अधिकारियों की भर्ती हेतु विज्ञापित पदों में ओबीसी हेतु आरक्षित 27% पदों (396) के सापेक्ष मात्र 139 पदों का ही उल्लेख है। लेटरल इंट्री द्वारा सीधी भर्ती, देश में जाति जनगणना न कराया जाना, सरकारी संस्थानों का लगातार निजीकरण तथा विभिन्न संप्रदायों, वर्गों, जातियों के मध्य नफरत फैलाने वाले बयानों से भी देश के वंचितों, उपेक्षितों, महिलाओं व धार्मिक अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन होता है।
प्रगतिशील विश्व मौर्य परिषद के जिलाध्यक्ष आशीष कुमार मौर्य ने कहा कि आज वीआईपी संघ 14 संगठनों का समूह है जो एकजुट होकर मांग करता है कि संविधान सुरक्षा की गारंटी हो, एससी/एसटी, ओबीसी वर्गों का संवैधानिक प्रतिनिधित्व (आरक्षण) पूरा किया जाए, देश में प्रत्येक जातियों की गणना कराई जाए, सरकारी संस्थानों का निजीकरण बंद हो, लेटरल इंट्री पर रोक लगाई जाए, देश की महिलाओं, एससी, एसटी, ओबीसी तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, संरक्षा व अधिकारों के प्रति किया जा रहा भेदभाव तथा उत्पीड़न बंद हो। कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल की जाए।
इस मौके पर प्रगतिशील विश्व मौर्य परिषद,दि बुद्धिस्ट सोसायटी आफ इंडिया, बदलाव, भीम आर्मी भारत एकता मिशन, सरदार पटेल सेवा समिति, कुर्मी महासभा, बहुजन क्रांति मोर्चा, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा, मौर्य कुशवाहा शाक्य सैनी कल्याण समिति, भीम सेना, वीरांगना झलकारी बाई सम्मान समिति, अखिल भारतीय पासी समाज, अखिल भारतीय शिल्पकार एवं विश्वकर्मा महासभा आदि संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
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