बासमती चावल के निर्यात होने से धान उत्पादकों को फसल का लाभकारी मूल्य प्राप्त हो- जिलाधिकारी उमेश मिश्रा

अपनी खुशबू और स्वाद के लिए मशहूर बासमती चावल दुनियाभर में खास पसंद किया जाता है।

मुकेश कुमार  (एडिटर क्राइम व सह प्रभारी उत्तर प्रदेश) TV9 भारत समाचार (बिजनौर)।  जिला अधिकारी उमेश मिश्रा की अध्यक्षता में आज दोपहर 1:00 बजे कलेक्ट्रेट स्थित महात्मा विद्युत सभागार में बासमती राइस वायर्स- सेलर्स मीट पर आधारित बैठक आयोजित हुई। उन्होंने कहा कि बैठक का उद्देश्य है कि जनपद में उत्पादित बासमती धान का किसानों को अच्छा मूल्य मिले इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से वायर्स- सेलर्स के बीच बैठक कराई गई है। इस संदर्भ में उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इसके लिए बेहतर तालमेल बनाए।

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जिलाधिकारी श्री मिश्रा ने कहा कि अपनी खुशबू और स्वाद के लिए मशहूर बासमती चावल दुनियाभर में खास पसंद किया जाता है। इस विशेषता को देखते हुए बासमती चावल के निर्यात होने से धान उत्पादकों को फसल का लाभकारी मूल्य भी प्राप्त हो सकेगा। साथ ही सरकार की मंशा है कि उपज का बड़ा फायदा कृषको मिले। उन्होंने वायर्स सेलर्स के साथ गहनता से चर्चा में कहा कि किस प्रकार के धान की पैदावार यहां होनी चाहिए, सस्ती पौध कहां से मिलेगी या खुद ही तैयार करें, कहां से उत्तम गुणवत्ता का बीज मिलेगा। इसका मंथन करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मार्केट में कौन-कौन से धान के बीज की वैरायटी पूर्व में उत्तम रही है। इस तरह की वैरायटी तैयार की जाए और गल्फ कंट्री खाड़ी देशों यूरोप, अमेरिका की जरूरतों के हिसाब से वैरायटी तैयार की जाए और उन्होंने कहा कि हमारा धान जब तैयार हो जाता है। तब उसे साफ चावल कैसे निकाले, उसके लिए किस मशीन को लगाएं। जिससे बेहतर साफ सुथरा चावल निकल सके। इस पर उन्होंने कहा कि अब हम मशीन यहां लगाएंगे बाहर नहीं जाएंगे। साथ ही इसका स्टोरेज कैसे करें, इसमें क्या-क्या तकनीकी की जरूरत होंगी, यह भी देखा जाए। अंतरराष्ट्रीय बाजार में हमें कैसे बेहतर मूल्य मिले जिससे विशेषकर किसानों को फायदा हो खेती में पानी की व्यवस्था कैसे की जाए यह सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं को देखे जाने की जरूरत है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि धान प्रसंस्करण मशीन लगाने में सोलर पंप सब्सिडी पर आधारित किसानों को उपलब्ध कराएं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि न्याय पंचायत ब्लॉक स्तर पर किसानों को बुलाकर विशेषज्ञ, कृषि वैज्ञानिकों द्वारा मोटिवेट करते हुए इसी से संबंधित बैठक आयोजित की जाएं। उन्होंने स्पष्ट रूप से उपस्थित से कहा कि हमारा सबसे बड़ा जोर यह होना चाहिए कि लागत कम लगे उत्पादन ज्यादा से ज्यादा हो, इस पर काम करने की जरूरत है। उन्होंने धान की रोपाई का लक्ष्य अधिक करने का आह्वान किया, साथ ही कृषि विभाग को निर्देशित करते हुए कहा कि धान का क्षेत्रफल बढ़ाने पर जोर दिया जाए। जिससे अधिक पैदावार पर निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने उपस्थित सभी से कहा कि जिस प्रकार पूर्व में जिले में उत्पादित सरसों का तेल का निर्यात हुआ उसी प्रकार आगे भी अहम भूमिका निभाते हुए किसानों निर्यातकों के बीच और बेहतर तरीके से तालमेल बनवाया जाए। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए, कि किसानों को प्राकृतिक एवं जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। उन्होंने बिजनौर को जैविक खेती एवं खेती को औद्योगिक हब के रूप में विकसित करने की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए स्थानीय किसानों का आह्वान किया है। कि जैविक खेती के विकास और खेती के व्यवसायीकरण के लिए आगे आएं। जिला प्रशासन उनकी हर संभव सहायता करने के लिए कटिबद्ध है। उन्होंने कृषको व उद्यमियों से धान प्रसंस्करण इकाई लगाने को कहा, साथ ही उन्हें सहयोग उपलब्ध कराने की बात कही और बासमती पैदावार किसानों का आव्हान किया कि बिजनौर की बातें कहीं, सब्जी जैविक एवं हर्बल उत्पादोंको को वाजिब और उच्च मूल्य उपलब्ध कराने के लिए अन्य व्यक्तियों की मीट के माध्यम से आमने-सामने बैठक कराने का एकमात्र उद्देश्य यही है कि स्थानीय किसान उनसे मार्गदर्शन प्राप्त करें और अपनी जिज्ञासाओं का समाधान करें। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि जिला बिजनौर पर कमर्शियल एवं जैविक खेती को हाथ।ब के रूप में विकसित करने में अपना योगदान दें और स्थानीय जागरूक किसानों को उचित मार्गदर्शन के साथ-साथ उनके उत्पादों की मार्केटिंग की भी व्यवस्था करें। उन्होंने कहा कि जिले का वातावरण इसके लिए अनुकूल है तथा यहां के कृषक भी प्रगतिशील और उत्सुक हैं। उनके उत्पादों को अच्छा बाजार मिले ताकि उन्हें अपने उत्पादों के दाम हासिल हो सके। उन्होंने कहा कि जिला बिजनौर को कृषि क्षेत्र के औद्योगिकरण एवं जैविक उत्पादों के हब के रूप में विकसित किए जाने की अपार संभावनाएं हैं। क्योंकि स्थानीय कृषक न केवल प्रगतिशील है बल्कि बिना सरकारी सहयोग एवं सहायता के कृषि विकास के क्षेत्र में नए नए प्रयोग कर अपनी विविधिता को चरितार्थ कर रहे हैं। उन्होंने कृषि को उद्योग के रूप में विकसित करने तथा उसका विविधीकरण करने का सबसे बड़ा लाभ यह होगा, कि कृषि से भारी आमदनी प्राप्त होगी और लोगों का गांव से पलायन भी रुकेगा। उन्होंने कहा कि बिजनौर के बासमती चावल, गुड़, सरसों का तेल, सिरका और जैविक उत्पादों का निर्यात किया जाना इस बात का प्रमाण है, कि स्थानीय कृषको को उचित मार्गदर्शन उपलब्ध कराया जाए और उनके उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध कराया जाए तो बहुत से कृषि उत्पाद स्थानीय एवं विदेशों में विक़य किए जा सकते हैं।  इस अवसर पर उप निदेशक कृषि गिरीशचंद्र, उप संभागीय कृषि प्रसार अधिकारी मनोज रावत सहित संबंधित अधिकारी कृषक उत्पादक संगठन कृषक एवं वाया ट्रेलर्स आदि उपस्थित थे।

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