प्रशासन की मिली भगत से धड़ल्ले से संचालित हो रहे है अवैध क्लिनिक

स्वास्थ्य महकमा नहीं लगा पा रहा अंकुश कार्यवाही के नाम पर महज कोरम पूर्ति,आम जनमानस के स्वास्थ्य और पैसे के साथ हो रहा खिलवाड़

नवीन चौबे,कुशीनगर। जनपद कुशीनगर के तहसील क्षेत्रों में झोला छाप डॉक्टरों की भरमार है। चौक-चौराहे पर बड़े-बड़े बोर्ड लगा कर या बिना बोर्ड के भी इस तरह के डॉक्टर भोले-भाले ग्रामीणों को ठगने के प्रयास में लगे हैं। भोली-भाली जनता इनके झांसे में आकर आर्थिक दोहन के साथ-साथ शारीरिक नुकसान भी पहुंचा रहे हैं।

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स्थानीय लोगों की माने तो क्षेत्रों में अप्रशिक्षित डाक्टरों झोला छाप द्वारा इलाज कराने की बात कौन कहे बड़े -बड़े आपरेशन तक किये जा रहे हैं। साथ ही मोटी रकम लेकर नर्सिग होम संचालक इलाज के नाम पर मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। उन्हें इस बात का तनिक भी भय नहीं होता कि मरीज मरेगा या मरीज को इंफेक्शन संक्रमण भी हो सकता है।

ऐसे नीम-हकीम के चक्कर में आये दिन कई अनपढ़ और गँवार लोगों की जान जा चली जाती है। वहीं झोलाछाप डॉक्टर अपनी-अपनी क्लिनिक के आगे बड़े-बड़े अक्षरों मे एमबीबीएस की डिग्री लिखा बोर्ड लगाने में परहेज नहीं करते हैं। जिससे पढ़ें लिखें लोग भी भ्रमित हो जाते हैं।जबकि सरकारी अस्पतालों में सरकार ने स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर बनाने को ले नि:शुल्क दवाओं के साथ -साथ कई जांचे भी नि:शुल्क में कराए जाने की व्यवस्था उपलब्ध कराई है। आमजनमानस द्वारा समय-समय पर जिला प्रशासन से झोला छाप चिकित्सकों के विरूद्ध कार्रवाई किये जाने की मांग की जाती रही है।

फ़िर भी जांच के नाम पर भी मरीजों से पैसा ऐंठा जाता है। आपको बता दें कि झोलाछाप डॉक्टर पहले उल्टा सीधा इलाज करते हैं, इसके बाद जब स्थिति काबू से बाहर हो जाती है तो किसी बड़े डॉक्टर को दिखाने के नाम पर अपनी पीछा छुड़ा लेते हैं। ये डॉक्टर बुखार की जांच के लिए कोई भी टेस्ट तक कराने की सलाह नहीं देते हैं। उल्टी, दस्त आदि सामान्य बीमारियों के अलावा मियादी बुखार,मलेरिया, हैजा, पीलिया,डेंगू,चिकन पॉक्स,मस्तिष्क ज्वर व एलर्जी तक का इलाज करने से नहीं चूकते।

बिना प्रशिक्षण के लोगों को इंजेक्शन लगाने के साथ ग्लूकोज व अन्य दवाओं को भी चढ़ा देते हैं। दवा की डोज की सही जानकारी न होने के बावजूद सामान्य बीमारी में लोगों को दवा की हैवी डोज दे देते हैं। इसके चलते कई बार लोगों को एलर्जी व शारीरिक अपंगता तक हो जाती हैं।ऐसे डॉक्टरों के पास किसी भी प्रकार की जांच की कोई सुविधा नहीं होती है।

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