परंपरागत तरीके से भगवान जगन्नाथ की पूजा अर्चना के बाद रथ खींचकर शुरू हुआ रथयात्रा मेला

आधी रात बेनी के बगीचे में भगवान जगन्नाथ, भाई बलदाऊ और बहन सुभद्रा की मंगला आरती की गई, 1802 में शुरू हुए रथ यात्रा मेले का यह 221वां वर्ष 

अखिलेश राय,सम्पादक व प्रभारी उत्तर प्रदेश :वाराणसी। काशी में हर ओर रथयात्रा मेले की धूम है। परंपरा के तौर पर काशीराज परिवार के कुंवर अनंत नारायण सिंह ने भगवान जगन्नाथ जी की पूजा अर्चना के बाद रथ को दो पग खींचा। इसी के साथ राजातालाब में रथयात्रा का मेला शुरू हो गया। 14 पहियों वाले 20 फीट चौड़े और 18 फीट लंबे सुसज्जित रथ पर भगवान सवार हैं। रथ का शिखर 20 फीट ऊंचा है। जिसका भव्य श्रृंगार किया गया है। भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलदाऊ और बहन सुभद्रा को को परंपरा के तौर परवल की मिठाई, केशरिया पेड़ा, राजभोग, आम, नानखटाई का भोग लगाया गया। मंगलवार से शुरू होने वाला लक्खा मेला तीन दिन तक चलेगा। यहां पूर्वांचल और बिहार के करीब चार लाख श्रद्धालु पहुंचे हैं। यह मेला 221 साल से लगातार जारी है।

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फोटो कैप्शन -रथ यात्रा मेले में आनंद लेते श्रद्धालु व आमजन 

सोमवार की आधी रात परंपरागत तरीके से बेनी के बगीचे में भगवान जगन्नाथ, भाई बलदाऊ और बहन सुभद्रा की मंगला आरती की गई। इसके बाद उनकी प्रतिमा को रथ पर विराजमान किया गया। यहां से रथ यात्रा मेले की आधिकारिक शुरुआत हो गई। इससे पहले अस्सी स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर के पट रविवार को ही खुल गए थे। ट्रस्ट जगन्नाथजी के सचिव आलोक शापुरी ने बताया 15 दिन की बीमारी और आराम के बाद भगवान ने फिर से भक्तों को दर्शन दिया। रविवार 18 जून को अस्सी स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर में विराजमान प्रभु जगन्नाथ, बड़े भाई बलदाऊ और बहन सुभद्रा का भव्य श्रृंगार किया गया था। आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा पर वाराणसी के अस्सी स्थित भगवान जगन्नाथ की मंगला आरती के बाद भव्य डोली यात्रा निकाली गई थी। डमरू की निनाद और शंख की ध्वनि के साथ काशी की गलियां गूंज उठी। इस डोली यात्रा में भगवान जगन्नाथ, भाई बलदाऊ और बहन सुभद्रा पर गुलाब की पंखुड़ियां बरसाईं गईं।

फोटो कैप्शन -रथ यात्रा मेले में आनंद लेते व तरह तरह के मनोरंजन करते हुए 

हर ओर श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ था। लोग स्वयं डमरू और ढोल बजाकर नाचते-गाते डोली यात्रा पर निकले। इस डोली में भगवान जगन्नाथ के साथ ही बड़े भाई बलदाऊ और बहन सुभद्रा का भव्य श्रृंगार किया गया था। भगवान की डोली और भक्तों की टोली अस्सी स्थित जगन्नाथ मंदिर से नवाबगंज, कश्मीरी गंज, शंकुलधारा, बैजनत्था मंदिर से रथ यात्रा स्थित बेनी का बगीचा पहुंचे। बताते चलें कि 1802 में शुरू हुए रथ यात्रा मेले का यह 221वां वर्ष है। जगन्नाथ पुरी को छोड़कर आए मुख्य पुजारी तेजोनिधि ब्रह्मचारी ने 1790 में काशी में जगन्नाथ मंदिर का निर्माण करवाया। इसके 12 साल बाद रथ यात्रा मेले की शुरुआत कराई थी। आगे चल कर यहीं पर उन्होंने समाधि भी ले ली थी। जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 1790 में कराया गया था। काशी में भगवान जगन्नाथ के साथ बड़े भाई बलदाऊ और बहन सुभद्रा को डोली में बैठाकर यात्रा निकाली जाती है। मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष दीपक शापुरी ने बताया कि काशी और पुरी की रथयात्रा में एक ही अंतर है। वाराणसी में रथ की जगह पर भगवान की यात्रा डोली पर निकलती है। जबकि पुरी में रथ पर।मई की भीषण गर्मी से भगवान जगन्नाथ की काष्ठ प्रतिमा पर भक्तजन खूब जलाभिषेक करते हैं। इससे भगवान बीमार पड़ जाते हैं। इसके बाद डॉक्टर 15 दिन आराम की सलाह देते हैं। आषाढ़ अमावस्या तक वे आराम करते हैं। बीच-बीच में भक्त बंद मंदिर के बाहर से ही भगवान को काढ़े का भोग कराते हैं। भगवान जगन्नाथ चार जून को बीमार पड़े थे। 18 जून को वे स्वस्थ हो गए थे।

रथयात्रा मेले के लिए वाराणसी में चार दिन रहेगा मार्ग परिवर्तन

काशी के सुप्रसिद्ध रथयात्रा मेले पर यातायात को चार दिन के लिए परिवर्तित कर दिया गया है। वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट ने रूट डायवर्जन प्लान लागू किया है। 20 जून से 23 जून तक रूट डायवर्जन वाराणसी में लागू रहेगा। यह डायवर्जन व्यवस्था रोज शाम चार बजे से आधी रात तीन बजे तक लागू रहेगा। भारी वाहनों ट्रक आदि के प्रवेश लिए यह रास्ता पूरे दिन प्रतिबंधित रहेगा। एंबुलेंस और शव वाहन इस प्रतिबंध से मुक्त रहेंगे।

बीएचयू भेलूपर की तरफ से रथयात्रा की तरफ आने वाले वाहनों को कमच्छा से साई मंदिर की तरफ मोड़ दिया जाएगा। जो आकाशवाणी होते हुए महमूरगंज के रास्ते अपने गंतव्य को जाएंगे। लक्सा से रथयात्रा की तरफ जाने वाले समस्त वाहनों को गुरूबाग तिराहे से नीमामाई तिराहे की तरफ मोड़ा जाएगा। जो कमच्छा तिराहा होकर अपने गंतव्य को जाएंगे। सिगरा से रथयात्रा की तरफ जाने वाले सभी वाहनों को सिगरा चौराहे से महमूरगंज की तरफ और सोनिया पुलिस चौकी की तरफ मोड़ा जाएगा। महमूरगंज चौराहे से रथयात्रा की तरफ जाने वाले वाहनों को आकाशवाणी तिराहा से सिगरा की तरफ मोड़ दिया जाएगा।सिगरा चौराहा, आकाशवाणी, नीमामाई तिराहा के समीप कार आटो, ई-रिक्शा, मोटर साइकिल, पैडल रिक्शा और सभी प्रकार के वाहनों को पार्किंग में खड़ा करा दिया जाएगा।

भारी वाहनों पर पूरी तरह रोक

जिन भारी वाहनों को मंडुआडीह तक आना होगा वह नो इंट्री खुलने के बाद मोहनसराय, रोहनियां, चांदपुर मुढ़ैला होते हुए आ सकते हैं। यदि सिगरा तक आना है कि मोहनसराय रोहनियां, चांदपुर, लहरतारा, धर्मशाला, इंग्लिशिया लाइन, मलदहिया होते हुए सिगरा तक आ सकते हैं। सिगरा क्षेत्र से हरहुआ होकर या बाबतपुर जाने वाले वाहनों को सिगरा, मलदहिया, चौकाघाट, ताड़ीखाना पुलिस लाइन चौराहा, भोजूबीर, गिलट बाजार, तरना, हरहुआ होते हुए अपने गंतव्य को जा सकेंगे। मंडुआडीह से आने वाले सभी प्रकार के वाहनों के लिए आकाशवाणी तिराहा से रथयात्रा चौराहे तक जाने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। सिगरा चौराहे से रथयात्रा तक जाने वाले भारी वाहनों पर प्रतिबंध रहेगा।

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