चार साल के बच्चे पर बलवा, मारपीट का केस दर्ज, पुलिस अधिकारियों में हड़कंप

बच्चे को लेकर एसपी से मिला पीड़ित परिवार, बोला-पेशबंदी में दर्ज कराई एफआईआर

लखीमपुरखीरी। थाना खीरी पुलिस का एक नया कारनामा सामने आया है। पुलिस ने बकरी चराने को लेकर दो पक्षों के बीच हुए दस दिन पहले हुए संघर्ष मामले में चार साल के बच्चे, उसकी नाबालिग बहन और भाई के खिलाफ बलवा समेत कई गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कर ली। इसकी जानकारी जब परिवार वालों को हुई तो उनके होश उड़ गए। मंगलवार को पीड़ित परिवार बच्चों को लेकर एसपी के सामने पेश हुआ और कार्रवाई की मांग की है। एसपी ने पूरे मामले की जांच के आदेश सीओ सिटी को दिए हैं।

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गांव सोंठपुर निवासी कृष्ण पाल मंगलवार को पत्नी और बच्चों को लेकर एसपी दफ्तर पहुंचा। उसने एसपी गणेश प्रसाद साहा के सामने पेश होकर पूरी बात बताई। कृष्ण पाल ने बताया कि बकरी चराने को लेकर उसके परिवार का गांव के ही शिवराम, सुरेंद्र नारेंद्र आदि से विवाद हो गया था। इससे नाराज आरोपियों ने 18 जून की शाम सात बजे परिवार की महिलाओं समेत घर में घुसकर गाली-गलौज व मारपीट की थी। घर में रखा सामान भी तोड़फोड़ दिया था। हमलावरों ने कृष्ण पाल के सिर पर लोहे की रॉड से हमला कर दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसे अधमरा जानकर हमलावर मरणासन्न हालत में छोड़कर भाग निकले थे। एक शिकायती पत्र दिया। उसने घटना की तहरीर पुलिस को दी थी, जिस पर पुलिस ने मेडिकल परीक्षण कराया था और 20 जून को आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 148, 336, 452, 323, 504, 506, 427 के तहत रिपोर्ट दर्ज की थी। आरोप है कि हमलावरों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। आरोपियों ने राजनीतिक दबाव बनाकर और पुलिस से सांठगांठ कर बलवा, घर में घुसकर मारपीट करने आदि धाराओं में उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। पेशबंदी में फर्जी ढंग से दर्ज कराई गई रिपोर्ट में उसकी 12 वर्षीय पुत्री, 12 वर्षीय और चार वर्षीय पुत्र को भी आरोपी बना दिया। इसकी जानकारी जब परिवार वालों को हुई तो मानों उनके पैरों तले की जमीन खिसक गई। पीड़ित ने एसपी से विपक्षियों की तरफ से दर्ज कराई गई रिपोर्ट को निरस्त कराने और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। एसपी ने मामले को गंभीरता से लिया है। उन्होंने पूरे प्रकरण की जांच सीओ सिटी को सौंपी है।

शिकायती पत्र जब थाने पर आता है तो संज्ञेय अपराध होने के कारण पुलिस रिपोर्ट दर्ज कर लेती है। तहरीर में आरोपियों का जिक्र नहीं होता है। दर्ज एफआईआर में चार साल के बच्चे का नाम दर्ज होने की बात सामने आई है। यह विवेचना का पार्ट है। अगर नाबालिग बच्चा है और वह घटना में संलिप्त नहीं है तो उसके संबंध में विचार करते हुए विवेचना में उसे बरी किया जाएगा।
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