कतर्नियाघाट सेंक्चुरी में न सुन पाएंगे बाघों की दहाड़, न देख पाएंगे डॉल्फिन की उछल कूद
14 नवंबर तक के लिए कतर्नियाघाट सेंक्चुरी में पर्यटकों का प्रवेश हुआ प्रतिबंधित, फारुक हट और ट्री हट की बुकिंग भी बंद
ए.चंद्रा, लखनऊ। 15 जून की भोर के साथ ही मानसून सत्र शुरू हो गया है। इसी के साथ कतर्नियाघाट सेंक्चुरी में पर्यटकों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। जंगल भ्रमण की इच्छा अब 5 माह तक मन में दबाए रखनी होगी। न तो बाघ की दहाड़ सुन पाएंगे और न ही गेरुआ नदी में वोटिंग कर गंगेटिक डॉल्फिन की उछल कूद देख पाएंगे। जंगल भ्रमण के लिए अब 14 नवंबर तक का इंतजार करना होगा। 15 नवंबर से पूर्ववत फिर जंगल में पर्यटकों का प्रवेश शुरू होगा, और तब मन में दबी इच्छा को पूरी करते हुए पर्यटक मन भर जंगल घूम सकेंगे।
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कतर्नियाघाट संरक्षित वन प्रभाग बहराइच जिले के पश्चिमी हिस्से में 551 वर्ग किलोमीटर में विस्तारित है। यह सेंक्चुरी क्षेत्र राष्ट्रीय उद्यान दुधवा नेशनल पार्क का डिवीजन भी है। कतर्नियाघाट संरक्षित वन क्षेत्र नेपाल सीमा से सटा हुआ है। कतर्नियाघाट संरक्षित वन क्षेत्र कतर्नियाघाट, निशानगाड़ा, सुजौली, मुर्तिहा, मोतीपुर, सुजौली और ककरहा रेंज में बंटा हुआ है।
कतर्नियाघाट सेंचुरी की पहचान बाघ, तेंदुआ, गैंडा, नेपाली हाथी के साथ ही बारहसिंघा, चीतल, पाढ़ा और काकड़ आदि की विशिष्ट प्रजातियों से होती हैं। इन दुर्लभ वन्यजीवों के साथ ही कतर्नियाघाट सेंचुरी के कतर्नियाघाट रेंज के जंगल के मध्य से बहने वाली नेपाल की गेरुआ और कौड़ियाला नदियों में गंगेटिक डॉल्फिन, दुर्लभ प्रजाति के कछुआ, मगरमच्छ और घड़ियाल भी प्रवास करते हैं।
कतर्नियाघाट संरक्षित वन क्षेत्र के प्रभागीय वनाधिकारी आकाशदीप बधावन ने कहा कि संरक्षित वन क्षेत्र में मानसून सत्र में पर्यटकों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया जाता है क्योंकि 15 जून से बरसात दस्तक देने लगती है। ऐसे में बरसात के समय पर्यटकों का जंगल में प्रवेश उन्हें असुरक्षित बना सकता है। इसी के चलते शुरुआती दौर से ही प्रति वर्ष मानसून सत्र 15 जून को शुरू होते ही कतर्नियाघाट सेंक्चुरी में पर्यटकों की आवाजाही पर पाबंदी लगा दी जाती है। पर्यटकों के साथ ही जिले के नागरिकों को भी मानसून सत्र में सेंचुरी क्षेत्र में आने की इजाजत नहीं है। डीएफओ आकाशदीप बधावन ने बताया कि 15 जून से 14 नवंबर तक जंगल में आवागमन पूरी तरह बंद रहेगा। 15 नवंबर से पुनः सेंक्चुरी क्षेत्र में पर्यटकों का आवागमन शुरू होगा।
तो इसलिए मानसून सत्र में रहती है पाबंदी
डीएफओ आकाशदीप वधावन ने बताया कि कतर्नियाघाट सेंचुरी कि जिन रास्तों पर पर्यटक भ्रमण करते हैं, जंगल के अंदर वह रास्ते कच्चे हैं, वाहन उन रास्तों पर जा नहीं सकते, पानी और कीचड़ के चलते चलना दुश्वार होता है, ऐसे में जंगली जानवरों के हमले का खतरा बढ़ जाता है। इसी के चलते मानसून सत्र में पर्यटकों का आवागमन प्रतिबंधित कर दिया जाता है।
नेपाल राष्ट्रीय उद्यान से भी जुड़ा हुआ है कतर्नियाघाट जंगल
कतर्नियाघाट संरक्षित वन क्षेत्र भारत नेपाल सीमा पर स्थित है। कतर्नियाघाट जंगल का उत्तरी पश्चिमी हिस्सा नेपाल के रॉयल बर्दिया नेशनल पार्क से खाताकारिडोर से जुड़ता है। ऐसे में अक्सर नेपाल के रॉयल बर्दिया नेशनल पार्क से हाथियों का झुंड कतर्नियाघाट पहुंच जाता है। वही कतर्नियाघाट सेंचुरी के भी वन्यजीव भ्रमण करते हुए नेपाल पहुंच जाते हैं। खाता कॉरिडोर डोर मार्ग पर मानसून सत्र में शिकारियों का खतरा अधिक होता है।
शिकारियों का है खतरा गठित होंगी विशेष टीमें
मानसून सत्र के साथ ही जंगल में सन्नाटा पसर जाता है, ऐसे में शिकारियों की नजर दुर्लभ वन्यजीवों पर होती है। शिकारियों पर शिकंजा कसने और वन तथा वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए तैयारियां कर ली गई है। मानसून सत्र के समय एसएसबी और एसटीपीएफ के जवान के साथ वन कर्मी संयुक्त सघन गश्त करेंगे।
“आकाशदीप बधावन, डीएफओ-कतर्नियाघाट”
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