उत्तर प्रदेश में पिछले 8 वर्षों में एक भी नया कर नहीं लगाया गया, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि वित्तीय वर्तमान वर्ष 2025 और 26 का बजट सनातन संस्कृति की सर्वे भवंतु सुखिन: की अवधारणा के अनुरूप गरीब, अन्नदाता किसान, युवा और महिला उत्थान को समर्पित है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विज़न को साकार करते हुए वांछित को वरीयता, इस बजट का केंद्रीय भाव है। बजट से अंत्योदय से उन्नत अर्थव्यवस्था तक इज़ ऑफ़ लिविंग से इज़ ऑफ़ डूइंग बिजनेस तक कृषि से गरीब कल्याण तक, आस्था से आजीविका तक, शिक्षा से स्वावलंबन तक, संस्कृति से समृद्धि तक, महिला सशक्तिकरण के संकल्प को समवेत करते हुए विकसित उत्तर प्रदेश की राह मजबूत होंगी।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ ) TV 9 भारत समाचार लखनऊ (उत्तर प्रदेश )।
मुख्यमंत्री बोले – 2024 और 25 का बजट प्रभु श्री राम को अर्पित था, यह लोकतंत्र को समर्पित था।
वर्ष 2025 और 26 का बजट सनातन संस्कृति की सर्वे भवन्तु सुखिन : की अवधारणा के अनुरूप गरीब, अन्नदाता किसान, युवा और महिला उत्थान को समर्पित है।……
बढ़ा हुआ बजट का आकार सिर्फ व्यय नहीं, बल्कि अंतिम पायदान तक विकास की पहुंच, अवसंरचनात्मक विस्तार पर आधारित है।
प्रदेश सरकार का विज़न सुरक्षा, विकास और सुशासन है, वही बजट में राजकोषीय अनुशासन भी निहित है।
प्रदेश में डिजिटल मेकैनिज्म को अपनाया गया, जिससे ट्रांसपेरेंसी बढ़ी हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहां है कि प्रदेश में पिछले 8 वर्षों में एक निश्चित थीम के साथ बजट प्रस्तुत किया गया। इसमें वर्ष 2017 और 18 का बजट इंफ्रास्ट्रक्चर तथा औद्योगिक विकास, वर्ष 2019 और 20 का बजट महिला सशक्तिकरण, वर्ष 2020 और 21 का बजट युवाओं तथा इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, वर्ष 2021 और 22 का बजट स्वावलंबन से सशक्तिकरण की थीम पर केंद्रित था।
वहीं वित्तीय वर्ष 2022 और 23 का बजट अंत्योदय से आत्मनिर्भरता का बजट था। इसी तरह वित्तीय वर्ष 2023 और 24 का बजट प्रदेश के त्वरित, सर्व समावेशी और समग्र विकास के साथ-साथ आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की नींव को सुदृढ़ करने वाला था। वर्ष 2024 और 25 का बजट प्रभु श्री राम को अर्पित था। यह बजट लोक मंगल को समर्पित था।
वर्तमान बजट लोक कल्याण संग अर्थव्यवस्था को विस्तार देने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है…..
मुख्यमंत्री योगी ने कहा है कि वित्तीय वर्तमान वर्ष 2025 और 26 का बजट सनातन संस्कृति की सर्वे भवन्तु सुखिन: की अवधारणा के अनुरूप गरीब, अन्नदाता किसान, युवा और महिला उत्थान को समर्पित है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विज़न को साकार करते हुए वंचित और वरीयता, इस बजट का केंद्रीय भाव है।
बजट से अंत्योदय से उन्नत अर्थव्यवस्था तक, इज़ ऑफ़ लिविंग से इज़ ऑफ़ डूइंग बिजनेस तक, कृषि से गरीब कल्याण तक, आस्था से आजीविका तक, शिक्षा से स्वालंबन तक, संस्कृति से स्मृद्धि तक, महिला सशक्तिकरण के संकल्प को समवेत करते हुए एक विकसित उत्तर प्रदेश की राह मजबूत होंगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 और 26 के बजट आकार 8 लाख 8 हजार 736 करोड़ रुपए से अधिक का है।
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यह देश के अंदर किसी राज्य की तुलना में सबसे बड़ा बजट है। यह बजट वर्ष 2016 से 17 की तुलना में लगभग ढाई गुना बड़ा है। अंतिम पायदान तक विकास की पहुंच, अवसंरचनात्मक विस्तार, आमजन के जीवन स्तर को ऊपर उठाने का प्रयास, प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने और आर्थिक विकास को तेज़ करने का परिचायक होता है। बजट के आकार में यह बढ़ोतरी राज्य के सामर्थ्य के अनुरूप है।
मुख्यमंत्री ने प्राप्तियों के बारे में बताया है कि 2016-17 में कुल राज्य से प्राप्तियां 2 लाख 56 हज़ार 875 करोड़ रुपए हुई थी, जबकि चालू वित्तीय वर्ष की जनवरी महीने तक की 4 लाख 10 हज़ार करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त हो चुका है।
इसी तरह आगामी वर्ष में कुल प्राप्तियां 7 लाख 79 हज़ार 242 करोड़ रुपए अनुमानित है। कुल प्राप्तियों में 6 लाख 62 हज़ार 690 करोड़ , 93 लाख रुपए की राजस्व प्राप्तियां, 1 लाख 16 हज़ार 551 करोड़ 72 लाख रुपए की पूंजीगत प्राप्तियां सम्मिलित है।
राजस्व प्राप्तियों में कर राजस्व का अंश 5 लाख 50 हज़ार 172 करोड़ 21 लाख है। इसमें केंद्रीय करों में राज्य का अंश 2 लाख 55 हज़ार 172 करोड़ 21 लाख सम्मिलित है। वहीं स्वयं के कर राजस्व 2 लाख 95 हज़ार करोड़ रुपए अनुमानित है। स्वयं कर के राजस्व प्राप्तियों का 45% स्वयं के कर राजस्व से प्राप्त होना अनुमानित है। स्वयं के कर की राजस्व प्राप्तियों में वर्ष 2022- 23, वर्ष 2023- 24, वर्ष 2024- 25 के दौरान देश के सभी राज्यों में उत्तर प्रदेश का द्वितीय स्थान रहा।
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नीति आयोग की रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश को फ्रंट रनर राज्य की श्रेणी में रखा गया………….
मुख्यमंत्री ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2025- 26 में कुल व्यय 8 लाख 8 हज़ार 736 करोड़ 6 लाख रुपए अनुमानित है। कुल व्यय में 5 लाख 83 हज़ार 174 करोड़ 57 लाख रुपए राजस्व लेखे का व्यय है।
2 लाख 25 हज़ार 561 करोड़ 49 लाख रुपए पूंजी लेखे का व्यय है।
पूंजीगत व्यय कैपिटल एक्सपेंडिचर विकासात्मक खर्च हैं, जो इकोनॉमी की दिशा तय करता है। इससे उद्योग प्रोत्साहित होते हैं। सप्लाई चैन बेहतर होती है। निजी निवेश बढ़ता है और इन सबसे रोजगार का सृजन होता है। निर्माण और रोजगार सृजन के इस समन्वय से सस्टेनेबल और फास्ट गोइंग इकोनामी आकार लेती है। बजट में कुल व्यय में 2 लाख 25 हज़ार 561 करोड़ 49 लाख रुपए कैपिटल एक्सपेंडिचर सम्मिलित है। जो कुल बजट का लगभग 20.5% है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार बजट में कई नई योजनाएं सम्मिलित की गई है। इसके लिए 28 हज़ार 478 करोड़ 34 लाख रुपए का प्रावधान है।
आगामी वर्ष में राजकोषीय घाटा 91 हज़ार 399 करोड़ 80 लाख रुपए अनुमानित है। जो वर्ष के लिए अनुमानित जीएसडीपी 2.97% है। यह एफआरबीएम की सीमा के भीतर है। उन्होंने कहा कि जहां एक और प्रदेश सरकार का विज़न सुरक्षा, विकास और सुशासन है, वहीं बजट में राजकोषीय अनुशासन भी निहित है। यह दर्शाता है कि सरकार ने वित्तीय अनुशासन का अनुकरण करते हुए विकास को तीव्र गति देने में सफलता अर्जित की है। नीति आयोग द्वारा राज्यों की राजकोषीय स्थिति के संबंध में प्रकाशित रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश को फ्रेंड रनर राज्य की श्रेणी में रखा गया है।
प्रदेश में पिछले 8 वर्षों में एक भी नया टैक्स नहीं लगाया गया………..
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीतें 5 वर्ष से प्रदेश रिवेन्यू सरप्लस स्टेट है। कर अपवंचन को रोका गया है। रेवेन्यू लीकेज को समाप्त किया गया है। डिजिटल मेकैनिज्म को अपनाया गया, जिससे ट्रांसपेरेंसी बढ़ी है। पहले यही पैसे विकास और वेलफेयर के काम नहीं आ पाते थे। आज पाई-पाई प्रदेश हित में उपयोग हो रही है। देश के अंदर सर्वश्रेष्ठ इंफ्रास्ट्रक्चर देने में सफलता मिल रही है। बीतें 8 वर्ष में एक भी नया टैक्स नहीं लगाया गया है। प्रदेश में डीजल पेट्रोल की दरें सबसे कम है। इस सफलता के पीछे राम राज्य की अवधारणा है।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने……….
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“बरसत हरसत सब लखें, करसत लखें न कोय, तुलसी प्रजा सुभाग से, भूप भानु सो होय”
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चौपाई सुनाई। उन्होंने कहा कि श्री राम जी भरत से कहते हैं कि हमें प्रजा से कर ऐसे लेना चहिए, जैसे सूर्य लेता है। जैसे सूर्य समुद्र, नदी, तालाब से पानी लेता है, लेकिन किसी को पता नहीं चलता। परंतु जब वह बादलों के रूप में जरूरत की जगह पर बरसता है तो सबको पता चलता है। खासकर जब जरूरत की जगह पर बरसता है, तो सभी खुश हो जाते हैं।
इसी प्रकार, सरकार को कर इस तरह से लेना चाहिए कि किसी को पता न चले, किसी को पीड़ा ना हो। लेकिन जब वहीं टैक्स का इस्तेमाल जनता के हित में खर्च हो, जैसे हाईवे बनें , पुल बनें, स्कूल-कॉलेज बनें, हॉस्पिटल बनें तो सबको पता चले। हमारी सरकार यही भाव लेकर काम कर रही है।
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