डीडीयू गोरखपुर विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन, सम्मानित हुए विशेषज्ञ और शोधार्थी

पुस्तकालय विज्ञान को अधिक तकनीकी और डिजिटल बनाने पर जोर

रिपोर्ट : दिनेश चंद्र मिश्रा : गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के केंद्रीय ग्रंथालय एवं लाइब्रेरी प्रोफेशनल एसोसिएशन (एल.पी.ए.), नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आई-कोल 2025 का भव्य समापन हुआ। इस सम्मेलन का विषय “शैक्षणिक पुस्तकालयों में ज्ञान संगठन” था, जिसमें देश-विदेश से आए विद्वानों ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए और पुस्तकालय विज्ञान में नवाचार के नए आयामों पर चर्चा की।

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पुस्तक प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केंद्र

The conclusion of a three -day international seminar at DDU Gorakhpur University, honored experts and researchers

सम्मेलन के दौरान 18 प्रकाशकों द्वारा पुस्तक प्रदर्शनी लगाई गई, जो शोधार्थियों, शिक्षकों और छात्रों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बनी रही। इस प्रदर्शनी में शैक्षणिक और शोधपरक पुस्तकों के नवीनतम संस्करणों को प्रदर्शित किया गया।

कुलपति ने नवाचार को बढ़ावा देने पर दिया जोर

समापन सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने की। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि यह संगोष्ठी पुस्तकालयों के संगठन और प्रबंधन में नई दिशा प्रदान करेगी। उन्होंने आशा जताई कि संगोष्ठी में हुए विचार-विमर्श से पुस्तकालय विज्ञान के क्षेत्र में नए शोध और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

पुस्तकालय विज्ञान को अधिक तकनीकी और डिजिटल बनाने पर जोर

मुख्य अतिथि प्रो. अमर नाथ राय (पूर्व कुलपति, मिजोरम विश्वविद्यालय एवं नैक के पूर्व निदेशक) ने पुस्तकालय विज्ञान को अधिक तकनीकी और डिजिटल बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पुस्तकालय केवल किताबों का भंडार नहीं, बल्कि ज्ञान और नवाचार का केंद्र होना चाहिए।

डिजिटल युग में पुस्तकालयों की भूमिका पर चर्चा

एल.पी.ए. के अध्यक्ष डॉ. आर.एन. मानवीय ने कहा कि “डिजिटल युग में अभिनव पुस्तकालय प्रथाएँ: विकसित भारत 2047 के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के साथ तालमेल” विषय पर आधारित यह संगोष्ठी नई शिक्षा नीति के अनुरूप पुस्तकालयों के विकास में सहायक सिद्ध होगी।

देश-विदेश के पुस्तकालय विशेषज्ञ हुए सम्मानित

The conclusion of a three -day international seminar at DDU Gorakhpur University, honored experts and researchers
एल.पी.ए. द्वारा देश-विदेश के पुस्तकालय विज्ञान के विद्वानों को सम्मानित किया गया। लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड: प्रो. सोनल सिंह (विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन) को मिला। जबकि सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय पुस्तकालयाध्यक्ष: डॉ. सुधीर कुमार जेना (मिजोरम विश्वविद्यालय), सर्वश्रेष्ठ कॉलेज लाइब्रेरियन: रूचि सिन्हा (मेडिकल साइंस कॉलेज), सर्वश्रेष्ठ स्कूल लाइब्रेरियन: मनीष मकेला (कोटा, राजस्थान), सर्वश्रेष्ठ सार्वजनिक पुस्तकालयाध्यक्ष: डॉ. दीपक श्रीवास्तव (राजस्थान), सर्वश्रेष्ठ कॉर्पोरेट लाइब्रेरियन: डॉ. पी.एन. शर्मा (एनएचपीसी) और सर्वश्रेष्ठ विशेष पुस्तकालय सम्मान: बबीता (रोहतक मेडिकल साइंस, हरियाणा) को मिला।

संगोष्ठी में 72 शोधपत्र हुए प्रस्तुत

रिपोर्टियर जनरल ललिता धीर ने बताया कि तीन दिवसीय संगोष्ठी में 8 सत्रों में कुल 72 शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। संगोष्ठी में देश-विदेश से आए शोधकर्ताओं ने अपने विचार साझा किए, जिससे पुस्तकालय विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण शोध का आदान-प्रदान हुआ।

समापन सत्र में डॉ. बिभाष कुमार मिश्रा ने कुलपति प्रो. पूनम टंडन, मुख्य अतिथि प्रो. अमर नाथ राय, सभी अतिथियों, शोधार्थियों, और आयोजन समिति के सदस्यों को धन्यवाद दिया। उन्होंने इस संगोष्ठी के सफल आयोजन में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए एल.पी.ए. अध्यक्ष डॉ. रामानंद मालवीय, कोषाध्यक्ष डॉ. आनंद अंजनी झा, और संयोजक डॉ. सलेक चंद सहित पूरी टीम की सराहना की।

सम्मेलन में देश-विदेश के विशेषज्ञों की भागीदारी

इस संगोष्ठी में प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा, प्रो. उमेश नाथ त्रिपाठी, प्रो. दिनेश यादव, प्रो. कमलेश कुमार गुप्ता, प्रो. राजेश कुमार सिंह, प्रो. एस.के. सिंह, प्रो. संजय बैजल, प्रो. विनीता पाठक, डॉ. अमित उपाध्याय, डॉ. स्वर्णिमा सिंह सहित अनेक शिक्षाविदों ने भाग लिया। वहीं, नाइजीरिया के पुस्तकालय विज्ञान विशेषज्ञ इसीका चीका और हुसैनी मूसा भी इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में शामिल हुए। उल्लेखनीय योगदान देने वाले शोधार्थियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।

समारोह के अंत में सभी पंजीकृत प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र एवं किट प्रदान किए गए। साथ ही, विशेष शोधपत्र प्रस्तुत करने वाले विद्वानों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

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