टेरर फंडिंग के आरोपी सांसद इंजीनियर रशीद ने हाई कोर्ट से ज़मानत याचिका वापस ली।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से मिले स्पष्टीकरण के बाद दिल्ली हाई कोर्ट के रजिस्ट्री ने बताया था कि पटियाला हाउस कोर्ट का स्पेशल एन आईए कोर्ट इंजीनियर रशीद के ख़िलाफ़ दर्ज़ मामले की सुनवाई कर सकता है। हाई कोर्ट ने रशीद को संसद सत्र में हिस्सा लेने के लिए कस्टडी पैरोल पर रिहा करने की अनुमति दी थी। हाई कोर्ट ने उसके बाद रशीद ने संसद सत्र में हिस्सा लिया था।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ ) TV 9 भारत समाचार नई दिल्ली।
टेरर फंडिंग मामले के आरोपी और सांसद इंजीनियर रशीद ने दिल्ली हाई कोर्ट में दाख़िल ज़मानत याचिका वापस ले ली है। हाई कोर्ट ने पटियाला हाउस कोर्ट के स्पेशल एन आई ऐ कोर्ट को निर्देश दिया कि वह इंजीनियर रशीद की ज़मानत याचिका पर जितना जल्दी हो सके सुनवाई कर फैसला करें।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से मिले स्पष्टीकरण के बाद दिल्ली हाई कोर्ट की रजिस्ट्री ने बताया था कि पटियाला हाउस कोर्ट स्पेशल एन आई ऐ कोर्ट इंजीनियर रशीद के ख़िलाफ़ दर्ज़ मामले की सुनवाई कर सकता है। हाई कोर्ट ने रसीद को संसद सत्र में हिस्सा लेने के लिए कस्टडी पेरोल पर रिहा करने अनुमति दी थी। उसके बाद रशीद ने संसद सत्र में हिस्सा लिया था।
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इंजीनियर रशीद को कब गिरफ़्तार किया गया था? पटियाला हाउस कोर्ट ने रशीद इंजीनियर को जम्मू कश्मीर में चुनाव-प्रचार में हिस्सा लेने के लिए अक्टूबर 2024 तक अंतरिम जमानत दी थी। उसके बाद से कोर्ट ने रशीद इंजीनियर को दो बार अंतरिम जमानत बढ़ाई थी। रशीद इंजीनियर ने लोकसभा चुनाव 2024 में जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को करीब एक लाख मतों से हराकर जीत हासिल की है। रशीद इंजीनियर को 2016 में एन आई ऐ ने गिरफ़्तार किया था।
पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 मार्च 2022 को कोर्ट ने हाफिज सईद, सैय्यद सलाहुद्दीन, यासीन मलिक, शब्बीर शाह, मसर्रत आलम, रशीद इंजीनियर, जहूर अहमद, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहमद शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट उर्फ पीर सैफुल्लाह समेत दूसरे आरोपियों के ख़िलाफ़ तय करने का आदेश दिया था।
पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद, जैसे संगठनों ने जम्मू कश्मीर में आम नागरिकों को सुरक्षा बालों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया। 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की स्थापना की गई।
हाफिज सईद ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिए आतंकी गतिविधियों का अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया। इस धन का उपयोग उन्होंने घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए किया। इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एन आई ऐ ने भारतीय दंड संहिता की धारा और यूएपीए के धारा के तहत केस दर्ज किया था।
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