सुप्रीम कोर्ट ने सीएम चंद्रबाबू नायडू के ख़िलाफ़, CID मामलों को CBI सौंपने की याचिका ख़ारिज की।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि मौजूदा राज्य सरकार भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और आपराधिक गबन आरोपों से जुड़े मामलों की जांच में बाधा डालने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर रही है। याचिका में दावा किया गया है कि सीआईडी ने इनमें से पांच मामलों में पहले ही आरोप पत्र दाखिल कर दिया है। जबकि दो अन्य मामलों में जांच लंबित है।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को बड़ी राहत देते हुए उनके ख़िलाफ़ सीआईडी मामलों को सीबीआई को सौंपने की मांग वाली याचिका ख़ारिज कर दी। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की पीठ ने यह फैसला सुनाया।
याचिकाकर्ता बलैया बी ने अपनी याचिका में हितों के टकराव और प्रशासनिक नियंत्रण में समझौता का हवाला देते हुए अपराध जांच विभाग से सात मामलों को सीबीआई को सौंपने की मांग की थी।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि मौजूदा राज्य सरकार भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग, और आपराधिक गबन के आरोपों से जुड़े मामलों की जांच में बाधा डालने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर रही है। याचिका में दावा किया गया है कि सीआईडी ने इनमें से पांच मामलों में पहले ही आरोप पत्र दाखिल कर दिया है। जबकि दो अन्य मामलों में जांच लंबित है।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट किया है कि यह याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं है। साथ ही पीठ ने अपनी कड़ी असहमति व्यक्त करते हुए याचिका को पूरी तरह से झूठा करार दिया है। याचिकाकर्ता की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील ने जब दलीलें पेश करनी चाहीं, तो पीठ ने कहा कि अगर याचिका के संबंध में दलीलें पेश की गई तो भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है।
पीठ ने वकील से पूछा है कि क्या आप ऐसी याचिकाओं पर बहस करेंगे? मामले में संक्षिप्त सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। सात मामलों का हवाला देते हुए याचिका में आरोप लगाया गया है कि इन मामलों में आरोपी बनाए गए लोग अब सरकार का हिस्सा है। जांच एजेंसियां उनके नियंत्रण में है। याचिका में इसे हितों का टकराव बताया गया था।
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