संवैधानिक सिस्टम ने अमृतपाल सिंह को खालिस्तानी समर्थक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा बताकर किया गिरफ़्तार।

फिर आया लोकसभा चुनाव, अमृतपाल सिंह जो इस संवैधानिक सिस्टम का विरोधी है वह निर्दलीय चुनाव में पर्चा भरा चुनाव जीत गया..... अमृतपाल सिंह के कौम के लोगों ने गली, सड़क, नाली, पानी, थाना आदि की दलाली से ऊपर रखा अमृतपाल सिंह के विचार को और उस मुद्दे को जिस मुद्दे को लेकर अमृतपाल सिंह खड़ा हुआ था।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ )TV 9 भारत समाचार नई दिल्ली ।

संवैधानिक सिस्टम ने अमृतपाल सिंह को खालिस्तानी समर्थक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा बताकर गिरफ़्तार किया और संवैधानिक न्यायपालिका ने अमृतपाल सिंह को न्यायिक हिरासत के नाम पर जेल में कैद कर दिया और फिर संवैधानिक सिस्टम ने अमृतपाल सिंह को पंजाब से बहुत दूर असम के डिब्रूगढ़ जेल में डाल दिया। 

फिर आया लोकसभा चुनाव, अमृतपाल सिंह जो इस संवैधानिक सिस्टम का विरोधी है वह निर्दलीय चुनाव में पर्चा भरा चुनाव जीत गया।

अमृतपाल सिंह के कौम के लोगों ने गली, सड़क, नाली, पानी, थाना आदि की दलाली से ऊपर रखा अमृतपाल सिंह के विचार को और उस मुद्दे को जिस मुद्दे को लेकर अमृतपाल सिंह खड़ा हुआ था।

इससे पहले होता यूं था कि बहुसंख्यकवादी सिस्टम किसी भी अल्पसंख्यक खासकर मुस्लिम और सिक्खों को गिरफ़्तार कर जेल में डाल देता था और मीडिया गिरफ़्तार आरोपी व्यक्ति को तब तक विलेन बनाने की कोशिश करती थी जब तक उसे कौम के लोग उसके गिरफ़्तार आरोपी व्यक्ति से संबंध तोड़ न लेते हो।

इस परंपरा को तोड़ते हुए अमृतपाल सिंह के कौम लोगों ने गली, सड़क, नाली, पानी, थाना, आदि की दलाली से ऊपर अपनी आइडेंटिटी और अपने विचार को रखा और अमृतपाल सिंह के समर्थन में खुलकर खड़े हुए।

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