रंगदारी मांगने के मामले में सोलंकी बंधुओं को राहत, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंजूर की ज़मानत
ज़मानत अर्जी पर न्यायमूर्ति राजवीर सिंह ने सुनवाई की। सोलंकी बंधुओं के ख़िलाफ़ सामाजिक कार्यकर्ता अखिल अहमद ख़ान ने 6 दिसंबर 2022 को कानपुर नगर के जाजमऊ थाने में प्राथमिकी दर्ज़ कराई थी। इरफान और उसके भाई ने उसे 5 दिसंबर को अपने घर पर बुलाकर धमकाया था और 10 लाख रुपए की मांग की थी।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ ) TV 9 भारत समाचार प्रयागराज।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बसपा विधायक इरफान सोलंकी और उनके भाई रिज़वान सोलंकी की ज़मानत मंजूर कर ली है।
दोनों पर कानपुर के एक सामाजिक कार्यकर्ता से रंगदारी मांगने का मुक़दमा दर्ज़ हैं। जिसमें ज़मानत के लिए हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी।
ज़मानत अर्जी पर न्यायमूर्ति राजवीर सिंह ने सुनवाई की। सोलंकी बंधुओं के ख़िलाफ़ सामाजिक कार्यकर्ता अखिल अहमद खान ने 6 दिसंबर 2022 को कानपुर नगर के जाजमऊ थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि इरफान और उसके भाई ने उसे 5 दिसंबर को अपने घर बुलाकर धमकाया था और 10 लाख रुपए की मांग की थी।
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साथ ही भविष्य में किसी भी ज़मीन पर कारोबार में 10% हिस्सा रंगदारी के तौर पर देने की मांग की थी। ऐसा नहीं करने पर परिवार सहित जान से मार देने की धमकी दी थी।
याची का पक्ष रख रहें अधिवक्ता इमरानुउल्लाह और विनीत का कहना था कि याची के ख़िलाफ़ लगाए हुए आरोपों का कोई साक्ष्य नहीं है। रुपए का लेन-देन नहीं हुआ है, इसलिए रंगदारी मांगने का आरोप साबित नहीं होता है।
वादी मुक़दमा याची के ख़िलाफ़ दर्ज़ आगजनी के मुक़दमे में गवाह है। इसलिए विद्वेष के कारण फर्जी मुक़दमा दर्ज़ कराया गया हैं। याचीगण 2 वर्ष से अधिक समय से इस मामले में जेल में बंद हैं।
सरकारी अधिवक्ता ने ज़मानत का विरोध करते हुए कहा कि याची गन का लंबा आपराधिक इतिहास है। रंगदारी के मामले में रूपयों का लेन-देन साबित करना जरूरी नहीं है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की ज़िरह सुनने के बाद ज़मानत अर्जी मंजूर कर ली है।
हालांकि, सोलंकी बंधुओं के ख़िलाफ़ गैंगस्टर सहित कई मुकदमें दर्ज़ हैं, जिनमें अभी उनको ज़मानत नहीं मिली हैं।
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