प्रयागराज की अनोखी परंपरा: धूमधाम से निकली ‘हथौड़ा बारात’

परंपरा और उत्सव का संगम

रिपोर्ट : राजीव कृष्ण श्रीवास्तव : प्रयागराज : यूपी। प्रयागराज, जिसे संगम नगरी के नाम से जाना जाता है, अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। यहां हर त्योहार खास अंदाज में मनाया जाता है, लेकिन एक अनोखी परंपरा जिसे आज भी पूरे भव्यता के साथ निभाया जाता है, वह है ‘हथौड़ा बारात’। यह बारात होलिका दहन से पहले केसर विद्यापीठ इंटर कॉलेज, नगर चौक से पूरे भौकाल और धूमधाम के साथ निकाली जाती है।

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हथौड़ा बना दूल्हा, परंपराओं का हुआ निर्वहन

Prayagraj's unique tradition: 'Hammer procession' came out with pomp

हर साल की तरह इस बार भी संयोजक संजय सिंह ने परंपरा का पालन करते हुए हथौड़ा को दूल्हे के रूप में सजाया। गुलाबी साफा पहने बारातियों की लंबी कतारों ने इस आयोजन को और खास बना दिया। हथौड़ा को नजर से बचाने के लिए काजल लगाया गया और राई, नमक, मिर्च से उसकी बलइयां ली गईं। परंपरा के अनुसार, हथौड़े से कुरीतियों के प्रतीक कद्दू* को तोड़ा गया, जो समाज में फैली बुराइयों पर प्रहार का संदेश देता है।

गाजे-बाजे और बहुरंगी रोशनी के साथ ऐतिहासिक यात्रा

बारात की शुरुआत केसर विद्यापीठ कॉलेज परिसर से हुई, जहां ढोल-भांगड़ा, आतिशबाजी और रंग-बिरंगी रोशनी ने माहौल को और भी रंगीन बना दिया। यह बारात खोवा मंडी, घंटाघर, जीरो रोड होते हुए विद्यापीठ पहुंची। पूरे रास्ते परंपरागत होली गीतों की धुनों पर लोग झूमते-गाते रहे।

विश्वकर्मा जी से जुड़ी मान्यता

संयोजक संजय सिंह के अनुसार, यह अनोखी परंपरा विश्वकर्मा जी से जुड़ी है। मान्यता है कि भगवान विष्णु के कहने पर विश्वकर्मा जी ने तपस्या करके पहला यंत्र ‘हथौड़ा’ बनाया, और इसकी उत्पत्ति प्रयागराज में हुई थी। इसी कारण, होली की शुरुआत यहां हथौड़ा बारात निकालकर की जाती है।

शादी जैसी तैयारियां, पर दूल्हा हथौड़ा!

इस अनूठे विवाह समारोह में जिस तरह मां अपने बेटे की शादी से पहले उसे नजर से बचाने के लिए काजल लगाती है, बलइयां लेती है और पूजन करती है, ठीक उसी प्रकार हथौड़े का भी पूरे विधि-विधान से श्रृंगार किया गया। इसके बाद बारात धूमधाम से निकाली गई, जिसमें डीजे, लाइट, भांगड़ा, ऊंट, घोड़े और हजारों बाराती शामिल थे।

फागुनी मस्ती में सराबोर इलाहाबाद होलियारे

बारात में शामिल इलाहाबाद के होलियारे ढोल-नगाड़ों की थाप पर झूमते दिखे। फागुनी मस्ती में डूबे लोगों ने जगह-जगह बारात का स्वागत किया। इस हास्य-व्यंग्य से भरपूर परंपरा में तरह-तरह के प्रतीकात्मक पात्र भी शामिल रहे, जिनमें चवन्नीकम, लेहड़ीबूची, छुरियल, सलोथर, खोचड़, मुर्रेदार, खुर्राट, लंतरानीबाज, नकबहेल, धारू-धप शामिल रहे।

संस्कृति और परंपरा का अनूठा संगम

Prayagraj's unique tradition: 'Hammer procession' came out with pomp
हथौड़ा बारात प्रयागराज की अनोखी सांस्कृतिक धरोहर है, जिसे हर साल पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह न केवल मनोरंजन का जरिया है, बल्कि सामाजिक संदेश भी देता है कि बुराइयों पर प्रहार करना जरूरी है। इस तरह, यह बारात होली के रंगों में एक और रंग जोड़कर प्रयागराज की सांस्कृतिक समृद्धि को और बढ़ा देती है।

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