पटना HC ने राज्यपाल के आदेश को किया निरस्त, आर्यभट्ट ज्ञान विवि की पूर्व उप कुलपति को बड़ी राहत।
राज्यपाल सचिवालय में पद स्थापित होने के पश्चात अधिकारी का कर्तव्य है कि वह विभिन्न मुद्दों पर सटीक तथ्य, सुसंगत संवैधानिक प्रावधान तथा विद्यमान न्यायिक सुझाव प्रस्तुत करें। ताकि राज्यपाल के कानून के तहत अंतिम निर्णय आदेश जारी कर सके। लेकिन कोर्ट ने पाया है की विशेष कर्तव्य अधिकारी बालेंद्र शुक्ला और विशेष कर्तव्य अधिकारी महावीर प्रसाद शर्मा ने मूल रिकॉर्ड के साथ गड़बड़ी की है।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ ) TV 9 भारत समाचार पटना (बिहार )।
पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के पूर्व उप कुलपति कुमारी अंजना को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने उप कुलपति को पद से हटाने के कुलाधिपति के आदेश की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया।
आर्यभट्ट ज्ञान विवि की पूर्व कुलपति को बड़ी राहत…………….
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि राज्यपाल का एक पद एक संवैधानिक पद है और राज्यपाल बिहार राज्य विश्वविद्यालय कानून के प्रावधानों के तहत बिहार के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति की भूमिका निभाते हैं। कुलाधिपति को उनके आधिकारिक, विधायी, कार्यकारी, संवैधानिक तथा अर्ध न्यायिक कार्यों के निर्वहन में सहायता करने के लिए, प्रशासनिक तथा न्यायिक सेवाओं के अधिकारियों को राज्य सरकार नियमों के अंतर्गत एक निश्चित अवधि के लिए राज्यपाल सचिवालय में प्रतिनियुक्ति किया जाता है।
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पटना HC ने राज्यपाल के आदेश को किया निरस्त…………..
राज्यपाल सचिवालय में पद स्थापित होने के पश्चात अधिकारियों का कर्तव्य है कि वे विभिन्न मुद्दों पर सटीक तथ्य, सुसंगत संवैधानिक प्रावधान तथा विद्यमान न्यायिक सुझाव प्रस्तुत करें। ताकि राज्यपाल कानून के तहत अंतिम निर्णय ले आदेश जारी कर सकें। कोर्ट ने पाया है कि विशेष कर्तव्य अधिकारी बालेंद्र शुक्ला और विशेष कर्तव्य अधिकारी महावीर प्रसाद शर्मा ने मूल रिकॉर्ड के साथ गड़बड़ी की है। कोर्ट द्वारा पूछे गए सवालों का संतोषजनक जवाब देने में सफल रहे उन्होंने मौखिक माफी मांगी।
अधिकारियों ने कुलाधिपति को गुमराह किया………….
कोर्ट ने कहा है कि विशेष कर्तव्य अधिकारी (न्यायिक )और विशेष कर्तव्य अधिकारी (विश्वविद्यालय ) की जिम्मेदारी काफी ऊंची है। जिनका न्याय संगत, निष्पक्ष और कानूनी आदेश या निर्देश पारित करने में कुलाधिपति की सहायता करना बाध्यकारी कर्तव्य है। हालांकि, दोनों अधिकारियों ने न केवल अपनी जिम्मेदारियों को नजरअंदाज किया, बल्कि उन्होंने जानबूझकर महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया है। इससे कुलाधिपति को गलत आदेश पारित करने में गुमराह किया गया है।
कोर्ट ने कहा है कि दोनों अधिकारी विशेष कर्तव्य अधिकारी (न्यायिक) और विशेष कर्तव्य अधिकारी (विश्वविद्यालय) अपने-अपने पदों के लिए अनुपयुक्त है और उन्हें उचित प्रशिक्षण के लिए भेजा जाना चाहिए। कोर्ट ने विशेष कर्तव्य अधिकारी बालेंद्र शुक्ला के ख़िलाफ़ उचित कार्यवाही के लिए हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस के समक्ष प्रस्तुत करने और विशेष कार्य अधिकारी महावीर प्रसाद शर्मा के ख़िलाफ़ कार्यवाही करने के लिए राज्यपाल के प्रधान सचिव के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया।
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