महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता दिखाएं, महिला जजों की बर्खास्तगी रद्द करते हुए SC ने क्यों की यह टिप्पणी?
न्यायपालिका में महिलाओं की संख्या, पीठ ने पेशे में महिलाओं की संख्या वृद्धि और उन्हें बनाएं रखने पर जोर दिया है। साथी महिलाओं को पेशे के वरिष्ठ पद पर पदोन्नति करने पर भी जोर दिया गया है। पीठ ने कहा न्यायपालिका में महिलाओं का अधिक प्रतिनिधित्व न्याय का निर्णय लेने के गुणवत्ता में बहुत सुधार करेगा। वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष महिला न्यायिक अधिकारियों का प्रतिनिधित्व किया।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ ) TV 9 भारत समाचार नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश की बर्खास्त दो महिला न्यायिक पदाधिकारियों को बहाल करने के आदेश दिये। इन्हें मध्य प्रदेश हाई कोर्ट राज्य सरकार की रिपोर्ट के बाद सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि महिला न्यायिक अधिकारियों के प्रति कुछ संवेदनशीलता दिखाई जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी बर्खास्तगी को मनमानी और अवैध बताया।
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने उसकी बर्खास्तगी की आलोचना करते हुए कहा, “हम उनके साथ सहानुभूति रखते हैं। उन्होंने पैसे, वित्तीय संसाधन खो दिए हैं। वे महीने की कुछ दिनों में दर्द से राहत पाने के लिए दवाई लेते हैं। ताकि वह सुबह से शाम तक अदालत में रह सकें। आपको संवेदनशीलता दिखानी चाहिए। सर्वोच्च न्यायलय द्वारा बहाल किए गए दो न्यायाधीशों में से एक का गर्भपात हो गया था।
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सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: लिया था संज्ञान………….
संज्ञान लेते हुए यह फैसला सुनाया, पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद 6 महीने से चार जजों को बहाल कर दिया गया था। बाकी दो जजों को बहाल नहीं किया गया। न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि महिला न्यायिक अधिकारियों की बढ़ती संख्या से संतुष्ट होना पर्याप्त नहीं है। जब तक कि हम उनके लिए काम करने हेतु आरामदायक माहौल सुनिश्चित नहीं कर देते।
न्यायपालिका में महिलाओं की संख्या………..
पीठ ने पेशे में महिलाओं की संख्या में वृद्धि और उन्हें बनाए रखने पर जोर दिया है। साथ ही महिलाओं को पेशे के वरिष्ठ पदों पर पदोन्नति करने पर भी जोर दिया गया है। पीठ ने कहा है कि न्यायपालिका में महिलाओं का अधिक प्रतिनिधित्व न्यायिक निर्णय लेने के गुणवत्ता में बहुत सुधार करेगा। वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जय सिंह ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष महिला न्यायिक अधिकारियों का प्रतिनिधित्व किया।
भेदभाव से मुक्ति का आवाहन……….
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि गर्भावस्था और मातृत्व के दौरान भेदभाव से मुक्ति महिलाओं को कानून का समान संरक्षण महिला कार्य बल के लिए बहुमूल्य अधिकार है। उन्होंने कहा कि जब बच्चे का जन्म होता है, तो एक तरह की संतुष्टि का एहसास होता है। जब गर्भपात होता है, तो इसका महिला पर गहरा शारीरिक और मानसिक प्रभाव पड़ता है। मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभाव अधिक गंभीर और लंबे समय तक चलने वाली हो सकते हैं।
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