महाशिवरात्रि पर अखाड़ों की पेशवाई निकलेंगी।
अभी काशी में 3000 से अधिक नागा साधु संत पहुंचे हैं। वह अखाड़े में पूजन अर्चन और भंडारा कर रहे हैं और घाटों पर साधना कर रहे हैं। यह साधु संत महाशिवरात्रि के बाद मसाने की होली खेलने के बाद अपने अखाड़े की शाखाओं में जाएंगे। महाकुंभ के आकर्षण का केंद्र किन्नर अखाड़े बने हुए हैं। 26 फरवरी को सभी प्रयागराज में स्नान करेंगे। इसके बाद अपने अखाड़े के लिए रवाना हो जाएंगे।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ ) TV 9 भारत समाचार प्रयागराज।
महाकुंभ में माघी पूर्णिमा स्नान के बाद भी बचें अखाड़े के नागा साधु और संन्यासी काशी आ रहे हैं, लेकिन भीड़ के चलते कई अखाड़ों की लाव-लश्कर प्रयागराज में ही रुके हुए हैं………..
महाकुंभ में अब तक 3000 साधु और संत पहुंचे हैं। भेड़ की वजह से धीरे-धीरे अटल, आनंद, महा निर्माणी, जूना अखाड़े के बचे साधु सन्यासी आ रहे हैं। 20 फरवरी तक करीब 2000 नागा साधुओं के आने की संभावना है। महाशिवरात्रि पर यह अखाड़े पेशवाई निकाल कर बाबा विश्वनाथ के दर्शन करेंगे।
सबसे बड़े जूना अखाड़े के साधु संत 7 फरवरी को काशी आ गए थे। लेकिन अभी तक बहुत से संत नहीं आ सके हैं। अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत प्रेम गिरि ने बताया है कि अभी कुछ सन्यासी बचे हैं। उनके इस सप्ताह आने की संभावना है। श्री पंच अग्नि अखाड़ा के सन्यासी पूर्णिमा स्नान के बाद चले हैं। इनको भी कुछ नागा साधु अभी काशी नहीं पहुंच सके हैं।
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आनंद अखाड़ा, पंचायती अखाड़ा महानिर्वाण, शंभू पंचायती अटल और दशनाम आवाहन आदि अखाड़े के भी साधु संत अभी प्रयागराज में ही हैं। काशी में जूना अखाड़े की पेशवाई निकाल चुकी है। अब 18 फरवरी को आवाहन अखाड़े के पेशवाई निकलेंगी।
नागा साधुओं के लिए घाट पर ओपीडी फेफड़ों में इंफेक्शन एलर्जी की समस्या महाकुंभ से काशी आए नागा साधुओं की सेहत को लेकर आईएमएस, बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर वीएन मिश्रा ने खास पहल की है। घाटवाक के तहत में अपने सहयोगियों के साथ ओपीडी चला रहे हैं। इसके माध्यम से नागा साधुओं के स्वास्थ्य की जांच कर रहे हैं।
जांच के दौरान, कई साधुओं के फेफड़ों में इंफेक्शन और एलर्जी की समस्या मिल रही है। महाकुंभ करीब महीने भर तक प्रयागराज में गंगा किनारे रहने के बात बड़ी संख्या में नागा साधु काशी आ रहे हैं। इनमें किसी को सर्दी-जुकाम है तो कोई एलर्जी से परेशान है।
प्रोफेसर बीएन मिश्रा ने बताया कि संगम किनारे रहने के बाद रेत के कण शरीर में आ गए हैं, इससे उन्हें यह समस्या हो रही है। बताया जाता है कि घाटवाक के तहत नियमित ओपीडी चलाई जा रही है।
हर दिन शाम 5:00 बजे टीम के साथ शिवाला, दांडी घाट, हनुमान घाट, शंकराचार्य घाट शाहिद अन्य घाटों पर यह ओपीडी चल रही है। अब तक करीब 50 से अधिक साधुओं को इसका लाभ पहुंचाया गया है। मौके पर बीपी जांच और अन्य जरूरी जांच की जा रही हैं। जरूरत पड़ने पर बीएचयू में भी उपचार करवाया जाएगा।
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