मध्य प्रदेश के सागर में पूर्व भाजपा विधायक के बंगले में 60 साल से चल रहा था चिड़ियाघर।
आयकर विभाग के अधिकारियों ने 5 जनवरी को सुबह 8:00 बजे राठौर के घर छापा मारा था। कार्यवाही तीन दिन तक चली। टीम लौटी तो उन्होंने वन विभाग को बताया है कि राठौर ने बंगले में मगरमच्छ पाले हुए हैं। इसके बाद वन विभाग कार्यवाही को विवश हुआ। उसने शुक्रवार को दो और शनिवार को दो मगरमच्छों के साथ कुछ बंदरों को बंगले से निकालकर अभयारण्य के तालाब और जंगल में छोड़ा। निजी चिड़ियाघर के कई प्रजाति के पक्षी अब भी हैं। उधर, पूर्व विधायक पर वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत अब तक केस दर्ज़ नहीं किया गया है।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार सागर (मध्य प्रदेश )।
मध्य प्रदेश में सागर ज़िले के बंडा से भाजपा के विधायक रहे हरवंश सिंह राठौर के बंगले पर आयकर विभाग में छापा नहीं डाला होता तो वन विभाग यहां पिछले क़रीब 60 वर्षों से नियम विरुद्ध संचालित निजी चिड़ियाघर पर चुप्पी ही साधे रहता। राठौर के बंगले में यह चिड़ियाघर वर्ष 1964-65 के क़रीब बना। उसके बाद से बंद नहीं कराया गया। चौंकाने वाली बात यह है कि इसकी जानकारी सभी को थी। स्कूली बच्चे भ्रमण के लिए वहां जाते थे। शहर के लोगों के पर्यटन के लिए मगरमच्छ सहित अन्य पक्षी आम थे।
आयकर विभाग के अधिकारियों ने 5 जनवरी को सुबह 8:00 बजे राठौर के घर छापा मारा था। करवाई तीन दिन तक चली। तीन लौटी तो उन्होंने वन विभाग को बताया है कि राठौर ने बंगले में मगरमच्छ पाले हुए हैं। इसके बाद वन विभाग कार्यवाही को विवश हुआ।
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उसने शुक्रवार को दो और शनिवार को दो मगरमच्छों के साथ कुछ बंदरों को बंगले से निकालकर अभयारण्य के तालाब और जंगल में छोड़ा। निजी चिड़ियाघर में कई प्रजाति के पक्षी अभी भी हैं। उधर, पूर्व विधायक पर वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत अब तक केस दर्ज़ नहीं किया गया है।
राठौर परिवार मूलत: तेंदूपत्ता की ठेकेदारी करता है। यह सागर क्षेत्र में बीड़ी के बड़े कारोबारी हैं। बताया जाता है कि हरवंश राठौर के दादा दुलीचंद राठौर ने 1964 और 65 में बंगले में निजी चिड़ियाघर बनवाया था। इसमें मगरमच्छ, हिरण, चीतल, और कई प्रजाति के पक्षी रखे गए हैं।
लोगों का कहना है कि राठौर परिवार ने संभवतः धार्मिक वजहों से मगरमच्छ पाले थे। क्योंकि जब मगरमच्छों को वन विभाग की टीम ने पकड़ा तो परिवार ने उनकी पूजा की थी। जिस तालाब में मगरमच्छों को रखा गया था, उसके ऊपर गंगा मंदिर बना है। यह मंदिर अधिकतर कांच से बना है। इसलिए लोग इसे कांच मंदिर भी कहते हैं।
गंभीर रूप से लुप्त प्राय सूचीबद्ध हैं घड़ियाल……
भोपाल के वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ने मगरमच्छ को रेड सूची में असुरक्षित के तौर पर दर्ज़ किया है। वहीं, घड़ियाल को गंभीर रूप से लुप्त प्राय सूचीबद्ध किया गया है। दोनों प्रजातियां वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची के तहत संरक्षित हैं। इसे पालने की अनुमति किसी को नहीं है। किसी को चिड़ियाघर चलाना है तो केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से मान्यता लेनी होती है।
अवैध निजी चिड़ियाघर चलने पर विभिन्न कानूनों के तहत कैद और जुर्माना दोनों का प्राविधान है। सज़ा और जुर्माना की दरें मामले की गंभीरता और अदालत के विवेक पर निर्भर करती हैं।
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