नोटरी लाइसेंस के मामले में हाई कोर्ट का फैसला, 8 सप्ताह में शासन से मांगा जवाब।
इंदौर की रहने वाली पुष्पा खाविया नोटरी का काम करती है। उनके द्वारा एक शपथ पत्र लेख नोटरी की गई थी। जिसमें एक महिला की देखभाल एक व्यक्ति द्वारा किए जाने का उल्लेख किया गया था। नोटरी करवाने वाले व्यक्ति ने नौकरी में गलत जानकारी दर्ज़ कराई थी। जिसकी शिकायत जिला एवं सत्र न्यायालय में की गई।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ ) TV 9 भारत समाचार इंदौर (मध्य प्रदेश )।
73 वर्षीय बुजुर्ग महिला ने उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में याचिका लगाकर उसका नोटरी लाइसेंस निरस्त किए जाने वाले आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी। जिसकी सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट इंदौर ने नोटरी लाइसेंस करने वाले आदेश पर अंतिम रोक लगा दी है।
आदेश देते हुए इंदौर हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जिस तरह से नोटरी लाइसेंस को निरस्त किया गया वह गलत है। कोर्ट ने शासन को 8 सप्ताह में जवाब देने के निर्देश दिए हैं। फिलहाल, अब इस मामले की सुनवाई आने वाले दिनों मे होने की संभावना है।
ज़िला कोर्ट ने नोटरी संचालक को चेतावनी दी……………
दरअसल, इंदौर की रहने वाली पुष्पा खाविया नोटरी का काम करती है। उनके द्वारा एक शपथ पत्र लेख नोटरी की गई थी। जिसमें एक महिला के देखभाल एक व्यक्ति द्वारा किए जाने का उल्लेख किया गया था।
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नोटरी करवाने वाले व्यक्ति ने नोटरी में गलत जानकारी दर्ज़ कराई थी। जिसकी शिकायत जिला एवं सत्र न्यायालय में की गई है। जिला कोर्ट ने सुनवाई करते हुए नोटरी संचालक को चेतावनी दी थी कि इस तरह की कार्यवाही भविष्य में नहीं की जाये।
महिला ने हाई कोर्ट का खटखटाया दरवाज़ा…………
इसके बाद महिला द्वारा नोटरी का काम शुरू कर दिया गया था। लेकिन एक साल बाद उन्हें संचालक अभियोजन की ओर से नोटिस मिला और बिना चार्ज किए उनके नोटरी लाइसेंस को निरस्त कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने अपने एडवोकेट धर्मेंद्र चेलावत के माध्यम से इंदौर हाई कोर्ट का रुख किया। इंदौर हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए जिस तरह से नोटरी लाइसेंस को निरस्त किया गया उसको गलत बताया।
हाई कोर्ट ने शासन से मांगा जवाब…………….
इस पर धर्मेंद्र चेलावत की ओर से इंदौर हाई कोर्ट के समक्ष विभिन्न प्रकार के तर्क रखे गए। इसके बाद हाई कोर्ट ने इस मामले में उनके लाइसेंस निरस्त करने वाले आदेश पर अंतिम रोक लगाई हैं। साथ ही कोर्ट ने शासन को 8 सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।
फिलहाल पूरे मामले की सुनवाई अब 8 सप्ताह बाद इंदौर हाई कोर्ट में होने की संभावना हैं।
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