क्या आज 5-डेज बैंकिंग पर लगेगी मुहर, पूरी होंगी बैंकर्स की मुराद?

बैंक कर्मचारी और यूनियन लंबे समय तक सरकार से 5 दिनों की बैंकिंग की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि बैंकों में बढ़ते काम-काज को ध्यान में रखते हुए उन्हें भी सप्ताह में 5 दिन काम-काज की अनुमति दी जानी चाहिए। अगर बजट में सरकार बैंक कर्मियों को मांग को पूरा करती है तो बैंकर्स को रोज़ाना 40 मिनट अतिरिक्त काम करना पड़ेगा। उसके बाद हर हफ्ते शनिवार और रविवार को बैंक बंद रह सकेंगे।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ )TV 9 भारत समाचार नई दिल्ली। 

आम बजट को लेकर बैंक कर्मियों के मन में भी कई सवाल हैं। सबसे पहले तो यही कि क्या उनके लंबे से समय से चली आ रही 5-डेज बैंकिंग की मांग पूरी होगी? पिछले काफ़ी समय से इस मुद्दे पर चर्चा हो रही है। लेकिन अब तक कोई पैसा नहीं हो पाया है। ऐसे में बैंकर्स को उम्मीद है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट में उनकी मुराद पर मुहर लगा सकती है।

बैंक कर्मचारी और यूनियन लंबे समय से सरकार से 5 दिनों की बैंकिंग की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि बैंक में बढ़ते काम-काज को ध्यान में रखते हुए उन्हें भी सप्ताह में 5 दिन काम-काज की अनुमति दी जानी चाहिए। अगर बजट में सरकार बैंक कर्मियों की मांग को पूरा करती है तो बैंकर्स को रोज़ाना 40 मिनट अतिरिक्त काम करना पड़ेगा। उसके बाद हर हफ्ते शनिवार, रविवार को बैंक बंद रह सकेंगे।

मौजूदा व्यवस्था के तहत बैंकों में पहले और तीसरे शनिवार काम होता है। दूसरे और चौथे शनिवार को छुट्टी रहती है। बैंकों में 5 दिन काम-काज को लेकर बैंक कर्मचारी व  यूनियन , आरबीआई और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच कई बार चर्चा हुई है।

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लोकसभा चुनाव से पहले खबरें आई थी कि इस मुद्दे पर सहमति बन चुकी है, और जल्द ही ऐलान भी हो जाएंगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ऐसे में अब बजट से बैंक कर्मियों की उम्मीदें बढ़ गई है।

इस मुद्दे पर बैंक कर्मचारी यूनियनों और इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के बीच सहमति बन चुकी है। केवल सरकार की मंजूरी मिलना बाकी है। इसके बाद देश में 5-डेज बैंकिंग सिस्टम शुरू हो जाएंगा। अगर बजट में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है, तो बैंक 40 मिनट अतिरिक्त खुलेंगे।

बैंक यूनियनों का कहना है कि 5 दिन वर्किंग लागू होने से ग्राहक सेवा पर असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि बैंक कर्मियों के काम-काज के घंटे को प्रतिदिन क़रीब 40 से 45 मिनट तक बढ़ाया जा सकता है। इस मुद्दे को लेकर काफ़ी समय से बात चल रही है। कई बार ऐसी खबरें भी आई है कि सभी पक्षों में सहमति बन चुकी है, लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं हो सका हैं।

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