कर्मचारियों का हाई कोर्ट से झटका, प्रमोशन से किया इनकार, तो पे स्केल पर होंगा असर।

यह मामला इंदौर खंडपीठ में विचाराधीन था। जिसमें सवाल उठाया गया था कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी पदोन्नति लेने से इनकार करता है तो क्या उसे समयमान, वेतनमान और क्रमोन्नति का लाभ मिलना चाहिए? इससे पहले, हाई कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाया था कि पदोन्नति से इनकार करने के बावजूद कर्मचारियों को दी गई क्रमोन्नति वापस नहीं ली जा सकती।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ ) TV 9 भारत समाचार इंदौर (मध्य प्रदेश )।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा है कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी प्रमोशन लेने से इनकार करता है, तो उसे क्रमोन्नति और समयबद्ध वेतनमान का लाभ नहीं मिलेगा। हाई कोर्ट जस्टिस संजीव सचदेवा, जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस विनय सराफ के फुल बेंच ने फैसला सुनाया।

यह मामला इंदौर खंडपीठ में विचाराधीन था। जिसमें सवाल उठाया गया था कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी पदोन्नति लेने से इनकार करता है, तो क्या उसे समयमान, वेतनमान और क्रमोन्नति का लाभ मिलना चाहिए? इससे पहले, हाई कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाया था कि पदोन्नति से इनकार करने के बावजूद कर्मचारियों को दी गई क्रमोन्नति वापस नहीं ली जा सकती है।

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इसी तर्क को आधार बनाकर याचिकाकर्ता रमेशचंद्र पेमनिया ने भी अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था। वहीं कोर्ट ने इस पूरे मामले में याचिकाकर्ता के विभिन्न तर्को को देखते हुए मामले में यह आदेश दिया था कि यदि कोई कर्मचारी पदोन्नति लेने से मना करता है तो बहन दो क्रमोन्नति का हकदार होंगा और न ही समयबद्ध, वेतनमान का लाभ दिया जाएंगा।

कोर्ट में था यह राज्य सरकार का तर्क……………….

राज्य शासन ने कोर्ट से तर्क दिया था कि समयमान, वेतनमान और क्रमोन्नति की नीति के तहत, यदि कोई कर्मचारी स्वयं पदोन्नति होने से इनकार करता है,तो उसे भविष्य में पदोन्नति या वेतन वृद्धि का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए। राज्य शासन का यह तर्क हाई कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।

वही अधिवक्ता आनंद अग्रवाल का कहना है कि इस फैसले पर पूनर्विचार किया जाना चाहिए। उनके अनुसार पदोन्नति और वेतनमान , समयबद्ध वेतनमान दोनों अलग-अलग है। सर्वोच्च न्यायालय ने पहले यह भी फैसला दिया था कि प्रमोशन और समयमान दोनों अलग-अलग है।

हाई कोर्ट के इस फैसले का सीधा प्रभाव प्रदेश के सभी सरकारी कर्मचारियों पर पड़ेगा। अब यदि कोई कर्मचारी पदोन्नति लेने से इनकार करता है, तो उसे भविष्य में किसी भी प्रकार का वेतन वृद्धि या पदोन्नति का अधिकार नहीं मिलेगा। यह फैसला सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बड़ा झटका है। इससे उनकी वेतन संबंधी योजना पर प्रभाव पड़ सकता है।

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