हाई कोर्ट ने वकीलों से मारपीट के मामले में पुलिस अधिकारी को भी पक्षकार बनाने का आदेश दिया।

अधिकारी ने वकीलों से अभद्रता के सारी हदें पार कर दी। इसके बाद कोर्ट ने पूछा है कि क्या आपने उनको याचिका में पक्षकार बनाया, तो अनिल तिवारी का कहना था कि किसी को व्यक्तिगत पक्षकार नहीं बनाया गया है। कोर्ट ने उन लोगों को व्यक्तिगत पक्ष का है बनाने का निर्देश दिया। जिन पर आरोप लगाए जा रहे हैं।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ ) TV 9 भारत समाचार प्रयागराज (उत्तर प्रदेश )।

कुंभ मेले के दौरान यातायात जाम को लेकर पुलिस द्वारा वकीलों की पिटाई के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वकीलों से अभद्रता करने के पुलिस अधिकारी को व्यक्तिगत पक्षकार बनाने का निर्देश दिया है। इस मामले को लेकर कायम जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट पर संगठन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने उक्त अधिकारी पर तीखे आरोप लगाए हैं।

उन्होंने कहा है कि अधिकारी ने वकीलों से अभद्रता की सारी हदें पार कर दी हैं। इसके बाद कोर्ट ने पूछा कि क्या आपने उनको याचिका में पक्षकार बनाया तो अनिल तिवारी का कहना था कि किसी को व्यक्तिगत पक्षकार नहीं बनाया गया है। कोर्ट ने उन लोगों को व्यक्तिगत पक्षकार बनाने का निर्देश दिया जिन पर बार की ओर से आरोप लगाए जा रहे हैं।

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शुक्रवार को याचिका सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता अजहर हुसैन इदरीश की खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत हुई। अनिल तिवारी ने दो संपूरक हलफनामे दाखिल किए। साथ ही घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग वाली पेन ड्राइव भी दाखिल की। दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल, और शासकीय अधिवक्ता ए. के. संड ने मंडलायुक्त, पुलिस आयुक्त, मेला अधिकारी, जिलाधिकारी, पुलिस उपायुक्त यातायात का निजी हलफनाम दाखिल किया गया। कोर्ट ने पेन ड्राइव महानिबंधक की अभिरक्षा में सुरक्षित रखने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने बार अध्यक्ष को पीड़ितों की ओर से भी व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। अनिल तिवारी ने वकीलों के साथ हुई मारपीट की घटना की इस सिलसिलेवार जानकारी कोर्ट को दी है। अनिल तिवारी ने बताया है कि जिस अधिकारी को अदालत ने याचिका में पक्षकार बनाने के लिए कहा है, उसे अगली सुनवाई से पूर्व पक्षकार बना दिया जाएंगा।

उल्लेखनीय है कि 04 फरवरी 2025 को प्रयागराज में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की फ्लीट के लिए हिंदू हॉस्टल चौराहे पर बेरिकैंडिन लगाकर यातायात को रोका गया था। इसी में कुछ अधिवक्ता भी थे। वकीलों ने न्यायालय आने के लिए रास्ता देने की मांग की तो उनके साथ पुलिस द्वारा बुरी तरह मारपीट की गई। घटना को लेकर हाईकोर्ट बार ने मुख्य न्यायमूर्ति से शिकायत की थी। जिस पर उन्होंने बार के पत्र को जनहित याचिका के रूप में कायम कर लिया है। इससे पूर्व हाईकोर्ट ने यातायात व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए जिम्मेदार अधिकारियों से जवाब मांगा था। याचिका की अगली सुनवाई 18 फरवरी को होंगी।

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