गर्ल्स कॉलेज के पास बने ओयो होटल, क्षेत्र की जनता के लिए बने नासूर

होटल संचालक फोन करके दिखाते हैं दबंगई।

मुकेश कुमार  क्राइम एडिटर इन चीफ TV9 भारत समाचार  मेरठ (उत्तर प्रदेश)।  ओयो होटल हब कहे जाने वाले जनपद मेरठ में करीब 170 से ज्यादा ओयो होटल है। जिनमें से अधिकांश आबादी से दूर है। लेकिन वही कुछ ओयो होटल घनी आबाद  के बीच बने हुए हैं। जिनका सीधा असर छोटे बच्चों पर बहुत बुरी तरह से पढ़ रहा है।

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आपको बता दें कि बीते कुछ महा पूर्व ही थाना कंकरखेड़ा थाना क्षेत्र की शोभापुर चौकी के पीछे दोपहिया रोड पर ओयो होटल की भरमार थी। जिनका लगातार विरोध हो रहा था। स्थानीय पुलिस द्वारा कोई प्रभावित कार्यवाही नहीं होने पर लोगों में आक्रोश फैल गया और एसएसपी रोहित सिंह साजवाण के दरबार में लोगों ने हंगामा करते हुए अपना आक्रोश जताया था और अपनी समस्या से निजात दिलाए जाने की गुहार लगाई थी।

एसएसपी के आदेश पर थाना पुलिस ने जनहित को देखते हुए देह व्यापार का अड्डा बन चुके उन सभी तमाम ओयो होटलों को बंद कर दिया था। जिनमें देह व्यापार जैसा कुकृत्य कराया जाता था। इसके बाद स्थानीय लोगों ने एसएसपी और थाना पुलिस की मुक्त कंठ से प्रशंसा की थी।

लेकिन अब दुपहिया रोड से थोड़ा आगे ही एक गर्ल्स कॉलेज के पास स्थित ओयो होटल क्षेत्र की जनता के लिए नासूर बन चुका है। घनी आबादी में परिवारों के बीच बने इन ओयो होटल का बड़ा ही बुरा व घातक प्रभाव सीधा असर कॉलेज में पढ़ने वाली छोटी-छोटी बच्चियों सहित अन्य संभ्रांत परिवारों पर भी पढ़ रहा है। जिस कारण वहां के लोगों का रहना दूभर होता जा रहा है।

सूत्रों का कहना है कि यहां पर दूर-दूर से नाबालिक लड़कियों को बुलाया जाता है और उनसे देह व्यापार कराया जाता है। ग्राहकों को व्हाट्सएप के माध्यम से लड़कियों के फोटो भेजे जाते हैं। कोई उनकी शिकायत ना कर दें, उसके लिए उनके स्क्रीनशॉट ले लिए जाते हैं। ताकि विरोध करने पर ब्लैकमेल कर सके। इन ग्राहकों से मनचाहा रेट लिया जाता है।

वहीं सूत्रों ने दबी जुबान में बताया कि यह सब मिली भगत से हो रहा है। प्रशासन को सब पता है। जब दोपहिया रोड पर घनी आबाद मै बने ओयो होटल पर कार्यवाही की गई तो कॉलेज के पास वाले ओयो होटल क्यों छोड़ दिए गए। इन पर पुलिस कोई कार्यवाही क्यों नहीं कर पा रही है।

यह सभी जानते हैं आखिर प्रशासन इन गंभीर मुद्दों पर कुंभकरण की नींद क्यों सोया हुआ है। वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि जनहित के लिए प्रशासन में उच्च अधिकारियों को इसमें संज्ञान लेने की आवश्यकता है। अन्यथा एक दिन यह स्थिति इतनी विकराल होगी कि लोग सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे।

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