नियति का खेल : जिस युवक को घोड़ी चढ़ना था उसका बांधा गया घंट,परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल

जिस युवक को घोड़ी चढ़ना था उसी का घंट बांधा गया और दरवाजे पर बैंड बाजे के शोर की जगह गमगीन माहौल में महिलाओं की सिसकियां के साथ कर्मकांड हुआ सम्पन्न

शंकर नरायण गुप्ता,मंडल संवाददाता : गोरखपुर जोन : तमकुहीराज /कुशीनगर। तमकुहीराज थाना क्षेत्र के परसौन गांव निवासी रामाश्रय गोड़ के घर खुशियों का माहौल था, इस बीच बड़े बेटे राजकपूर का तिलक का कार्यक्रम रविवार की देर रात संपन्न हुआ।कार्यक्रम सम्पन्न होने के बाद राजकपूर के जीजा लक्ष्मीपुर बाबू गांव निवासी जटाधारी किसी बात को लेकर डांस करने से  नाराज होकर पैदल ही घर के लिए निकल पड़े । इसकी जानकारी होने पर राजकपूर देवरिया के रहने वाले अपने मित्रों के साथ नंदलाल पटेल के साथ मोटरसाईकिल से जीजा को मनाने के लिए अपने जीजा के घर निकल पड़ा।

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मिली जानकारी के मुताबिक रात लगभग 2:00 बजे राजकपूर की मुलाकात रास्ते में अपने जीजा से हुई और अपने जीजा को मनाकर तीनों लोग मोटरसाइकिल से राजकुमार के घर के लिए चल दिए। तीनों अभी चखनी फाल के पास मुख्य पश्चिमी गंडक नहर पर पहुंचे थे कि बाइक अनियंत्रित होकर पुल की रेलिंग से टकराने के बाद गंडक नहर में जा गिरी।

नहर में डूबने से राजकपूर (25) और उसके जीजा जटाधारी (40) की मौत हो गई, जबकि नंदलाल पटेल की जान पुलिसकर्मियों की मदद से बच गई। इसकी जानकारी होने के बाद खुशियों में डूबे वर और वधू पक्ष के लोग गम में डूब गए। सोमवार की देर रात शव का अंतिम संस्कार कर दिए।

मंगलवार को सुबह 9 बजे गांव के बाहर छह लोग मौजूद थे। गमजदा लोगों के बीच इसी घटना की चर्चा हो रही थी। गांव में अंदर जाने के बाद सड़क किनारे तीन महिलाएं खड़ी थीं। आंखों में आंसू लिए राजकपूर के तिलक के पलों की चर्चा कर रही थीं। सुबह 11 बजे राजकपूर के दरवाजे पर करीब दस से अधिक लोग मौजूद रहे, कोई किसी से कुछ बोल नहीं रहा था। रामाश्रय आंखों में आंसू लिए अंतिम संस्कार के बाद होने वाले कर्मकांड कर रहे थे। वैदिक रीति-रिवाज से पुरोहित अवधेश मिश्र उसे पूरा कराने में जुटे रहे।

नहीं जले गांव में चूल्हे

उसी दौरान बाइक से तीन रिश्तेदार पहुंचे, घरों के अंदर से रुक-रुक कर महिलाओं की सिसकियां सुनाई दे रही थीं। दरवाजे से कुछ दूरी पर पीपल के वृक्ष के पास लोग पहुंचे और घंट बांधा गया। इस घटना से दु:खी ग्रामीणों के घरों में चूल्हे नहीं जले।

शादी के लिए गांव आया था राजकपूर

गांव के एक निजी विद्यालय के प्रबंधक राजू सिंह के पास गांव के कई युवक खड़े थे। राजू सिंह ने बताया कि परिवार का एक मात्र कमाऊ सदस्य राजकपूर ही था जो, गुजरात के सूरत स्थित एल्युमिनियम प्लांट में काम करता था।

6 फरवरी को शादी के लिए गांव आया था। हंसी-खुशी के बीच उसका तिलक का कार्यक्रम संपन्न हुआ और कुछ ही घंटे बाद उसकी जीवन लीला समाप्त हो गई। घटना के पीछे जीजा की नाराजगी की भी चर्चा लोगों के बीच रही।

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