“फर्जी नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता देने वालों के नाम सौंपे” , मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का आदेश।

लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में प्रदेश में फर्जी नर्सिंग कॉलेज संचालित किए जाने को चुनौती दी गई थी। याचिका के सुनवाई करते हुए युगल पेट ने अपने आदेश में कहा कि सीबीआई जांच में नर्सिंग कॉलेज को साल 2018 में कैसे मान्यता दी गई? मंत्र देने वाले अधिकारियों की सूची कोर्ट में पेश की जाएं। याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि नर्सिंग काउंसलिंग की पूर्व रजिस्ट्रार अनीता चांद को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ ) TV 9 भारत समाचार जबलपुर (मध्य प्रदेश )।

सीबीआई जांच में अपात्र पाए गए मध्य प्रदेश की नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने वाले जिम्मेदार अधिकारियों की सूची पेश करने के निर्देश हाई कोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी  तथा जस्टिस ए.के. पालीवाल ने राज्य सरकार को दिए हैं। इसके साथ ही युगल पीठ ने पूर्व पारित आदेश का पालन कराने के लिए बिना समय बर्बाद किए परीक्षा-परिणाम घोषित करने के भी निर्देश दिए गए। युगल पीठ ने ज़िम्मेदारी  द्वारा अधिकारी द्वारा आदेश का पालन नहीं करने पर कार्यवाही चेतावनी भी दी गई है।

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राज्य सरकार ने रखा हाईकोर्ट में अपना पक्ष…………..

लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में प्रदेश में फर्जी नर्सिंग कॉलेज संचालित चुनाव किए जाने की चुनौती दी गई थी। याचिका की सुनवाई करते हुए युगल पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि सीबीआई जांच में अपात्र मिलें नर्सिंग कॉलेजों को साल 2018 में कैसे मान्यता दी गई? मान्यता देने वाले अधिकारियों की सूची कोर्ट में पेश की जाएं।

याचिका की सुनवाई के दौरान, सरकार की तरफ से बताया गया है कि नर्सिंग काउंसलिंग की पूर्व रजिस्ट्रार अनीता चांद को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

पुलिस ने डिलीट फुटेज की रिपोर्ट पेश की………….

सुनवाई के दौरान, पुलिस उपायुक्त (अपराध ) भोपाल की तरफ से बताया गया, एमपीएनआरसी कार्यालय से 13 से 19 दिसंबर के बीच के डिलीट हुए सीसीटीवी फुटेज की रिकवरी के लिए केंद्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला बरखेड़ा भोपाल को सामग्री उपलब्ध करवा दी गई है। प्रयोगशाला के निदेशक ने लिखित में सूचित किया है कि विचाराधीन जांच पूरी होने की तिथि निश्चित नहीं है। इस पर युगल पीठ ने आदेश में कहा है कि आदेश के बावजूद लैब डायरेक्टर का जवाब उनकी उदासीनता एवं लापरवाही को दर्शाता है। डायरेक्टर का दृष्टिकोण अत्यंत घृणित हैं। मामले की अगली सुनवाई 6 मार्च को निर्धारित की गई हैं।

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