दो तराज़ू के खेल से कटा जा रहा गरीबों का हक़, दो तराज़ू की आड़ में चल रहा झोल, अधिकारी बेख़बर।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़, epos मशीन से चलने वाला कांटा साइड पर रखकर दूसरे कांटे से राशन वितरण कर आम जनता की जेब पर कैंची चलने का कार्य कर रहे हैं। वहीं हैरत की बात तो तब है जब सब कुछ विभाग द्वारा लगवाएं गए कमरे की निगरानी में चलते हुए विभाग अनजान बन बैठा है। वहीं सूत्रों के मुताबिक, मशीन से जोड़ा कांटा तब तक पर्ची निकालने की अनुमति नहीं देता जब तक कांटे पर रखा वज़न पूरा ना हो जाएं तो इसके लिए डीलर द्वारा नए हथकंडे अपनाएं हुए हैं।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ )TV 9 भारत समाचार सहारनपुर (उत्तर प्रदेश )।

दो तराजू के खेल से कटा जा रहा गरीबों का हक़….

अधिकारी बेख़बर या साझेदार..?

जहां एक और सरकार गरीबों का पेट भरने के लिए मुफ्त राशन प्रणाली लागू कर गरीबों को फायदा पहुंचाने का कार्य करने में दिन रात जुटी हुई है। वहीं दूसरी ओर उचित दर विक्रेता अपनी आदतों से बाज़ नहीं आ रहे हैं।

आपको बता दें कि मामला खाद्य पूर्ति विभाग का है। जहां पर राशन डीलरों द्वारा अनाज के काले कारोबार को करने का एक नया तरीका ढूंढ निकाला है। जहां राशन डीलरों द्वारा दुकान पर epos मशीन चलने वाला कांटा साइड पर रखकर दूसरे कांटे से राशन वितरण कर आम जनता की जेब पर कैंची चलने का कार्य कर रहे हैं।

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वहीं हैरत की बात हो तब है, जब सब कुछ विभाग द्वारा लगवाएं गए कैमरों की निगरानी में चलते हुए भी विभाग अनजान बन बैठा है। वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, मशीनों से जुड़ा हुआ कांटा तब तक पर्ची निकलने की अनुमति नहीं देता, जब तक कांटे पर रखा वज़न पूरा ना हो जाएं। तो इसके लिए डीलरों द्वारा नए-नए हथकंडे अपनाए हुए हैं।

वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, कहीं पर कांटे के पास बांट रखे मिलते हैं, तो कहानी वज़न पूरा करने हेतु अलग-अलग करतब करते हैं। ऐसे में जब वज़न पूरा हो जाता है तो पर्ची निकाल कर अपने पास रख लेते हैं।

इतना ही नहीं, आपको बता दें कि सरकार द्वारा राशन की काला बाज़ारी को रोकने हेतु आए दिन कुछ ना कुछ अलग नए नियम बनाए जा रहे हैं। वहीं सरकार और आमजन को चूना लगाने के लिए उचित गल्ले की दुकान चलाने वाले विक्रेता अपना उल्लू सीधा कर काला बाज़ारी को चरम सीमा पर कर गरीबों के हक़ पर फन फैलाए बैठे हैं।

ऐसे में देखना यह है कि आखिर कब तक गरीबों के हक से अपनी तिजोरियां भरेंगे? राशन माफिया और सरकारी गल्ले की दुकान चलाने वाले विक्रेता।

क्या इस पूरे मामले में विभाग अनजान है या फिर साझेदार है?…..

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