“दिल कांग्रेस कहता है और दिमाग आप”, असमंजस में दिल्ली के मुस्लिम वोटर, 22 सीटों पर रखते हैं दबदबा।

दिल्ली के मुस्लिम मतदाता परंपरागत तौर पर कांग्रेस को वोट देते आए हैं। लेकिन 2015 में वह कांग्रेस छोड़कर आपके पाले में चले गए। 2020 के चुनाव में अल्पसंख्यक समुदाय ने और मजबूती से आपको समर्थन दिया। इस वजह से ज्यादातर मुस्लिम बहुत इलाकों में कांग्रेस के उम्मीदवार अपने जमानत भी नहीं बचा सके। इस बार हालात बदले हुए हैं। उत्तर पूर्वी दिल्ली के 2020 के दंगे, कोरोना वायरस महामारी के दौरान उपजे तब्लीग़ी जमानत के मुद्दे और अल्पसंख्यक के समुदाय से जुड़े मुद्दों पर पार्टी के कथित छुट्टी से माना जा रहा है कि मुस्लिम मतदाताओं में आपको लेकर नाराज़गी है।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ )TV 9 भारत समाचार नई दिल्ली। 

दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से दो दिन पहले प्रमुख राजनीतिक दलों, खासकर आप और कांग्रेस के नजरें मुस्लिम बहुल माने जाने वाले करीब 22 सीटों पर टिकी है। लेकिन मुस्लिम वोटर इन दोनों परियों को लेकर असमंजस में है। दिल्ली विधानसभा की पांच सीट- सीलमपुर, मुस्तफाबाद, मटिया महल, बल्लीमारान, और ओखला सीट से अक्सर मुस्लिम उम्मीदवार ही विधानसभा पहुंचते रहे हैं। भले ही वह किसी भी दल से हो।

इसके अलावा, बाबरपुर, गांधीनगर, सीमापुरी, चांदनी चौक, सदर बाजार, किराड़ी, जंगपुरा और करावल नगर समेत 18 सीट ऐसी है, जहां मुस्लिम आबादी 10 से 40 फ़ीसदी मानी जाती है। इन क्षेत्रों में मुस्लिम समुदाय निर्णायक भूमिका अदा करता रहा है‌। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, दिल्ली में मुस्लिम आबादी क़रीब 13 फ़ीसदी थी। इस बार मुस्लिम मतदाता सत्तारुण आप और कांग्रेस को लेकर असमंजस में है।

दिल्ली के मुस्लिम मतदाता परंपरागत तौर पर कांग्रेस को वोट देते आए हैं। लेकिन 2015 में वह कांग्रेस छोड़कर आपके पाले में चले गए। 2020 के चुनाव में अल्पसंख्यक समुदाय ने और मजबूती से आपको समर्थन दिया। इस वज़ह से ज्यादातर मुस्लिम बहुल इलाकों में कांग्रेस के उम्मीदवार अपने जमानत भी नहीं बचा सके। इस बार हालात बदले हुए हैं। उत्तर पूर्वी दिल्ली के 2020 के दंगे, कोरोना वायरस महामारी के दौरान उपजे तब्लीग़ी के मुद्दे और अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े मुद्दों पर पार्टी के कथित चुप्पी से माना जा रहा है कि मुस्लिम मतदाताओं में आपको लेकर नाराज़गी है।

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मुस्लिम राजनीति के जानकारी एवं “सेंटर फॉर द स्टडी का डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस )” में एसोसिएट प्रोफेसर हिलाल अहमद ने पीटीआई भाषा से कहा है कि जहां तक मुस्लिम वोटो का सवाल है, आपको निश्चित रूप से बढ़त हासिल है। मुस्लिम बहुल क्षेत्र में उसके पास जमीनी स्तर के कार्यकर्ता और दूसरे स्तर का नेतृत्व है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस के मुस्लिम समुदायों के साथ ऐतिहासिक जुड़ाव से इनकार नहीं किया जा सकता और वह भी अपने लिए जगह बनाने की कोशिश कर रही है।

अहमद ने कहा है कि इस संबंध में मतदाताओं की समझ को ध्यान में रखना चाहिए। मेरे विचार से दिल्ली कि मुस्लिम मतदाताओं अन्य सामाजिक समूहों की तरह ही समझदार तरीके से मतदान करने जा रहे हैं। आखिरकार यह एक विधानसभा चुनाव है, जहां मतदाता अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ निकटता महसूस करता है। सीलमपुर विधानसभा के चौहान बांगर में रहने वाले व आयुष मंत्रालय से सेवानिवृत्त हुए डॉक्टर सैयद अहमद खान ने पीटीआई भाषा से कहा है कि इस बार वोट अरविंद केजरीवाल के चेहरे पर नहीं , बल्कि स्थानीय उम्मीदवार को देखकर पड़ेंगे। उन्होंने कहा है कि केजरीवाल ने अपनी जो छवि बनाई थी वह बीते 5 साल में काफ़ी खराब हुई है। आपके राष्ट्रीय संयोजक मुस्लिम समुदाय से जुड़े किसी मुद्दे पर नहीं बोले। खान से जब यह सवाल किया गया कि आप कह रही है कि उसे वोट नहीं दिया तो भाजपा आ जाएंगी। इस पर उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि मुसलमानों ने भाजपा को हराने का ठेका नहीं ले रखा है।

जाफराबाद इलाके में हलवाई की दुकान चलने वाले मोहम्मद यामीन कहते हैं कि यह सही है कि केजरीवाल मुसलमानों से जुड़े मुद्दों पर नहीं बोले, लेकिन हमारे पास कोई ऐसा विकल्प नहीं है, जहां हम जा सकें। इसलिए आपको ही वोट देना समझदारी है।

सीलमपुर से क़रीब 30 किलोमीटर दूर तक अन्य मुस्लिम बहुल सेट ओखला के जामिया नगर में रहने वाले फरीद असकरी ने कहा कि मुसलमानों के पास आपको वोट देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। बड़ी तस्वीर में केवल आप ही भाजपा को सत्ता में आने से रोक रही है। यही बात शाहदरा जिले के बाबरपुर इलाके में रहने वाले व तब्लीगी जमात से जुड़े अब्दुल रहमान भी कहते हैं कि भाजपा को रोकने के लिए आप ही विकल्प हैं।

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पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र के कूचा चालान इलाके के निवासी और एक होटल में नौकरी करने वाले उबैद कहते हैं कि केजरीवाल मुस्लिम मुद्दों पर नहीं बोलते हैं, फिर भी वह भाजपा से बेहतर है। उनकी कई योजनाओं से घरेलू बजट ठीक रहता है। इसलिए उन्होंने आपको वोट देने का फैसला किया है।

दंगा प्रभावित उत्तर पूर्वी दिल्ली के मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र के शेरपुर चौक के पास रहने वाले और सीट कर सीने का काम करने वाले 36 साल के अकबर आप सरकार की फ्री बिजली, पानी और मोहल्ला क्लीनिक योजना से खासे प्रभावित हैं। वह इस बार भी आपको ही वोट देंगे। सारे मतदाताओं का रुख यही है कि कुछ कांग्रेस को वोट देने की बात करते हैं। बल्लीमारान विधानसभा क्षेत्र के फराशखान इलाके में रहने वाले वसीम शाहनवाज ने कहा है कि वह पिछले दो चुनाव से आपको वोट देते आए हैं। लेकिन इस बार उन्होंने कांग्रेस को वोट देने का फैसला किया है। इसकी वजह पूछने पर कहते हैं कि जब भी मुसलमानों से जुड़ा कोई मुद्दा होता है तो केजरीवाल खामोश हो जाते हैं।

मुस्तफाबाद के भोजपुरी इलाके में रहने वाले मोहम्मद मुस्तकीम दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के हाथ खड़े करने को भूले नहीं है। मुस्तकीम कहते हैं कि जब इलाके में दंगे हुए तो केजरीवाल ने यह कहकर हाथ खड़े कर दिए थे कि उनके हाथ में कुछ नहीं है, जो है उपराज्यपाल के पास है। ऐसे में उनकी पार्टी को वोट देने का कोई मतलब नहीं है।

करावल नगर विधानसभा क्षेत्र के दंगा प्रभावित खजूरी एक्सटेंशन में रहनेेेे वाले मोहम्मद संजार इस बार आपको वोट देने के बात कहते हैं। उन्होंनेेेे कहा है कि 2015 और 2020 में हमने कांग्रेस को वोट दिया था। लेकिन इस बार क्षेत्र में भाजपा को रोकनेेेे के लिए हम आपकेेेे साथ जाएंगे। क्योंकि कांग्रेस मुकाबले में नहीं है। हालांकि, कुछ इलाकों में मतदाताओं केेेे बीच चुनाव को लेकर उदासीनता भी देखी जा रही है। बाबरपुर विधानसभा क्षेत्र के विजय पार्क में केमिस्ट की दुकान चलाने वाले शाहिद खान ने फैसला कर लिया है कि वह इस बार मतदान ही नहीं करेंगे, क्योंकि उन्हें आपको वोट देना ही नहीं है, और कांग्रेस मुकाबले में नहीं है, लिहाजा उन्होंनेेे वोट नहीं देने का फैसला किया है।

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