एचडीएफसी बैंक खाते से साइबर अपराधियों ने उड़ाए एक लाख, फ्रीज रकम को सीजेएम अदालत ने वापस दिलाकर पीड़ित को दी राहत
बैंक कर्मियों की लचर कार्यप्रणाली से अदालती आदेश के बावजूद पीड़ित को रकम मिलने में हुई देर, अदालत, जिला पुलिस व साइबर सेल का रहा विशेष योगदान
बहराइच। एचडीएफसी बैंक ग्राहक के खाते से साइबर अपराधियों ने फ्राड करके एक लाख रुपए उड़ा लिए। बैंक ने राहत नहीं दी तो सीजेएम अदालत ने तफ्तीश के दौरान ही रकम वापस दिलाकर पीड़ित को तात्कालिक राहत दिलाई है।
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डिजिटलाइजेशन के युग में मोबाइल मैसेज लिंक भेज कर साइबर अपराधियों द्वारा बैंक फ्राड के मामले आम हो चुके हैं। ऐसा ही एक मामला यह भी है। मामले की पैरवी कर रहे बशारत उल्ला खां “शहंशाह” की एडवोकेट फर्म के जूनियर अधिवक्ता अब्दुल हक खान “जावेद” ने बताया कि उद्योग व्यापार मंडल उपाध्यक्ष मनीष मल्होत्रा ने इस साल की शुरुआत में एचडीएफसी बैंक की डिगिहा शाखा में बचत खाता खोला था।
26 फरवरी को आनलाइन ट्रांजेक्शन के समय उनके मोबाइल पर टेक्स्ट मैसेज द्वारा एक लिंक आया जिसे उन्होंने भूलवश टच कर लिया। लिंक टच करते ही उनका मोबाइल हैक हो गया। मोबाइल पर अनजाने नामों वाले खातों को बेनीफिशरी एड करने के मैसेज व ओटीपी आने लगे।
मल्होत्रा ने ओटीपी किसी से शेयर नहीं की लेकिन कुछ ही सेकेंड में उनके खाते से 99999/= (करीब एक लाख) रुपए एचडीएफसी बैंक की मुंबई के किसी अज्ञात व्यक्ति मनोज किस्कू के खाते में ट्रांसफर हो गये।
मल्होत्रा ने तत्काल केंद्रीय गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 व एचडीएफसी बैंक के टोल फ्री नंबर पर संपर्क कर अपना खाता बंद करा दिया। साइबर हेल्पलाइन 1930 व स्थानीय पुलिस साइबर सेल की मदद से फ्राड करने वाले मनोज किस्कू का खाता भी फ्रीज करा दिया गया।
जानकारी मिली कि फ्राड खाताधारक मनोज किस्कू की बैंक केवाईसी अपडेट नहीं है और उसके खाते में संभवतः फ्राड कर लाए गए लगभग दो लाख रुपए जमा हैं। पीड़ित मनीष मल्होत्रा ने बैंक से अपनी रकम वापसी की गुहार लगाई लेकिन तमाम पत्राचार, ईमेल व बैंक शाखा के चक्कर लगाने के बावजूद बैंक प्रबंधन ने कोई सहायता नहीं की।
अंत में पीड़ित ने सीजेएम शिवेंद्र कुमार मिश्र की अदालत में एडवोकेट अब्दुल हक खान “जावेद” के माध्यम से अर्जी देकर धोखेबाजों द्वारा आहरित धन वापसी की गुहार लगाई। अदालत ने पुलिस विवेचक की रिपोर्ट मंगाई। थाने से रिपोर्ट आते ही सीजेएम शिवेंद्र कुमार मिश्र ने पीड़ित से समान धनराशि की जमानत बंधक लिखवाकर बैंक को रकम दिलाने का आदेश जारी कर दिया।
14 जुलाई को अदालत ने आदेश जारी किया और 26 जुलाई को पुलिस की साइबर सेल ने बैंक को मेल भेजी। लेकिन बैंक तो अब भी जैसे सुसुप्तावस्था में था! कोई तेजी नहीं! पीड़ित का एक लाख फंसा है, छः माह से ब्याज का नुकसान हो रहा है! इस बात का कोई दर्द नहीं! पीड़ित ने फिर बैंक मैनेजर से गुहार लगाई लेकिन वहां तो ढाक के वही तीन पात! लीगल सेल के नाम पर जाने क्यूं देर की जाती रही!
पुलिस अधीक्षक प्रशान्त वर्मा के निर्देश पर साइबर सेल ने भी बैंक के लीगल सेल, मुंबई शाखा तथा स्थानीय शाखा में संपर्क किया। तब जाकर कहीं 22 अगस्त को बैंक ने साइबर अपराधियों द्वारा उड़ाई गई रकम पीड़ित के खाते में ट्रांसफर की है। एचडीएफसी बैंक की लचर कार्य प्रणाली से क्षुब्ध खाताधारक अब पैसा वापस निकालकर बैंक से अपना खाता बंद करने की सोच रहे हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता बशारत उल्ला खां “शहंशाह” ने कहा कि “डिजिटलाइजेशन के इस दौर में साइबर क्राइम बढ़ा है। ऐसे में अपराधी से एक कदम आगे चलना होगा तभी इन अपराधों पर लगाम लग सकती है। पुलिस व बैंकों को इस तरह के मामलों में तेजी से अपनी जांच व विवेचना पूरी करने से ही अपराध पर अंकुश होगा। ऐसे प्रकरणों में या तो बैंक अपने विवेक का इस्तेमाल कर पीड़ित को भुगतान कर राहत दे सकता है अथवा अदालत।
देखें वीडियो 👇केस की कहानी पैरोकार अधिवक्ता अब्दुल हक खान “जावेद” की जुबानी
पीड़ित व्यवसायी एवं उद्योग व्यापार मंडल उपाध्यक्ष मनीष मल्होत्रा ने कहा कि सीजेएम अदालत ने तेजी से फैसला करते हुए तात्कालिक राहत देकर अदालत के प्रति जनता का विश्वास बढ़ाने का काम किया है। बहराइच के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट शिवेंद्र कुमार मिश्र इसके लिए बधाई के पात्र हैं। बैंक की निष्क्रियता से हो रही देरी में हस्तक्षेप कर पुलिस तंत्र ने भी बेहतर काम किया है।”
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