कांग्रेस झूठ में हो रही बदनाम, AAP के साथ असली खेल इन्होंने किया, आ जाते 2 लाख वोट।

चुनाव आयोग ने सभी 70 विधानसभा सीटों का परिणाम घोषित कर दिया है। चुनाव आयोग के मुताबिक दिल्ली चुनाव में कांग्रेस को कुल 6 लाख वोट मिले हैं। कांग्रेस के सिर्फ एक उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे। 66 उम्मीदवार तीसरे नंबर पर और तीन उम्मीदवार चौथे नंबर पर रहें। कांग्रेस को 6.34% वोट मिले हैं। वहीं, 07 सीटों पर बीजेपी का भी गणित गड़बड़ किया गया है।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ ) TV 9 भारत समाचार नई दिल्ली ।

अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी दिल्ली चुनाव में क्यों हारी? दिल्ली के जनादेश के बाद अलग-अलग तरीके से समीक्षा हो रही हैं। हार के लिए कांग्रेस को मुख्य तौर पर वजह माना जा रहा है। कांग्रेस को दिल्ली की 19 विधानसभा सीटों पर जितने वोट मिले, उससे कम मार्जिन से आपकी हार हुई। हालांकि, पांच आंकड़े ऐसे भी हैं, जो गवाही दे रहे हैं कि कांग्रेस छोड़कर अगर आप इन फैक्टर्स को मैनेज कर लेते हैं तो दिल्ली की सियासत में कमल नहीं खिल पाता।

चुनाव आयोग ने सभी 70 विधानसभा सीटों का परिणाम घोषित कर दिया है। आयोग के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी को कुल 43 लाख , 23 हजार 110 वोट मिले हैं। इसी तरह आम आदमी पार्टी को 41 लाख , 33 हजार 898 वोट मिले हैं। दोनों पार्टियों के बीच सिर्फ 1 लाख , 89 हजार वोटो का फर्क है। वोट प्रतिशत की बात की जाएं तो 43.57% वोट मिले हैं। दोनों के वोट प्रतिशत में सिर्फ दो का फासला हैं।

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कांग्रेस को 6 लाख वोट मिले हैं………

चुनाव आयोग के मुताबिक, दिल्ली चुनाव में कांग्रेस को कुल 6 लाख वोट मिले हैं। कांग्रेस के सिर्फ एक उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे। 66 उम्मीदवार तीसरे नंबर पर और 03 उम्मीदवार चौथे नंबर पर रहें। कांग्रेस को 6.34% प्रतिशत वोट मिले हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस को 4% वोट मिले थे। इस चुनाव में पार्टी को चार लाख वोट भी मिले थे। जिसमें 2 लाख की बढ़ोतरी देखी गई है। कांग्रेस ने जहां 19 सीटों पर आम आदमी पार्टी का खेल खराब किया है। वहीं 7 सीटों पर बीजेपी का भी गणित गड़बड़ा किया है।

दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी का असल खेल निर्दलीय, नोट और एआइएमआइएम जैसे छोटी पार्टियों ने किया है। चुनाव आयोग के मुताबिक, दिल्ली चुनाव में नोटा को 53 हजार, एआइएमआइएम को 72 हजार और निर्दलीय समेत छोटी पार्टियों को 87 हजार वोट मिले हैं।

यह कुल वोट 2 लाख 13,000 के क़रीब है। नोटा को लोग सरकार के ख़िलाफ़ नाराजगी के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। इसी तरह निर्दलीय उम्मीदवार भी सत्ता धारी दल को ही ज्यादा नुक्सान करते हैं।

असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने भी अरविंद केजरीवाल की पार्टी के ख़िलाफ़ उम्मीदवार उतारा था। आप मुसलमानों का वोट ले लेती है। लेकिन उसके मुद्दे पर कुछ नहीं बोलते हैं। कहा जा रहा है कि यह वोट अगर आपके पक्ष में आते हो दिल्ली का समीकरण कुछ और होता।

इन सीटों पर तो सीधा असर हुआ……..

  1. ­मुस्तफाबाद सीट पर भाजपा के मोहन सिंह बिष्ट को 17 हजार वोटों से जीत मिली है। यहां पर असदुद्दीन ओवैसी की उम्मीदवार ताहिर हुसैन ने 13 हजार वोट लाया है। ताहिर तीसरे नंबर पर रहे हैं।
  2. जंगपुरा सीट पर आप के मनीष सिसोदिया 657 वोट से हार गए हैं। यहां नोटा को 441 और निर्दलीय समिति अन्य छोटी पार्टियों को 522 वोट मिले हैं। यह सभी वोट करीब 1000 के क़रीब है।
  3. संगम विहार सीट पर आप के दिनेश मोहनिया 344 वोट हार गए हैं। यहां नोटा को 537 वोट मिले हैं। निर्दलीय और अन्य छोटी पार्टियों को संगम विहार में करीब 1000 वोट मिले हैं।
  4. त्रिलोकपुरी सीट पर आपकी अंजना प्राचा 392 वोटों से हार गई है। यहां नोटा को 683 वोट मिले हैं। बीजेपी के रविकांत त्रिलोकपुरी सीट पर जीते हैं।
  5. महरौली सीट पर आम आदमी पार्टी उम्मीदवार महेंद्र चौधरी 1782 वोटो से हार गए हैं। यहां पर निर्दलीय बाबा बालकनाथ को 9731 वोट मिले हैं।
  6. तिमारपुर सीट पर आपके सुरेंदर सिंह बिट्टू 11684 से हार गए हैं। यहां पर नोटा, निर्दलीय और अन्य पार्टी को करीब 1500 वोट मिले हैं। बिट्टू अगर यह वोट मैनेज कर जाते तो तिमारपुर में आपकी वापसी हो सकती थी।

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