इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नर्स से दुष्कर्म के आरोपी डॉक्टर की ज़मानत नामंजूर की।
विशेष अदालत के जमानत अर्जी ख़ारिज करने पर हाईकोर्ट में चुनौती दी। याची के अधिवक्ता ने दलील दी है कि उन्हें झूठा फंसाया गया है। जांच रिपोर्ट और सीसीटीवी फुटेज भी अभियोजन की कहानी की पुष्टि नहीं करते हैं। शासकीय अधिवक्ता ने जमानत का विरोध किया है। दलील दिया कि सीसीटीवी फुटेज में कई आपत्तिजनक दृश्य हैं।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ ) TV 9 भारत समाचार प्रयागराज ।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुसूचित जाति की नर्स के साथ दुष्कर्म करने के आरोपी डॉक्टर को जमानत देने से इनकार करते हुए उसकी जमानत अर्जी ख़ारिज कर दी।
यह आदेश न्यायमूर्ति नलिन कुमार श्रीवास्तव ने आरोपियों की अपील पर दिया।
मुरादाबाद के थाना तहकुरद्वारा में पीड़िता ने आरोपियों पर दुष्कर्म, एससीएसटी एक्ट और अन्य मामलों में प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
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आरोप लगाया गया था कि 17 अगस्त 2024 की रात को मुख्य आरोपी डॉक्टर शाहनवाज ने उसे अपने केबिन में बुलाया। उसके मना करने पर सह आरोपी जबरन उसे केबिन के अंदर ले गए और दरवाजा बंद कर दिया। डॉक्टर ने दुष्कर्म किया। मोबाइल फ़ोन भी छीन लिया, ताकि वह मदद के लिए किसी को फ़ोन ना कर सकें।
विशेष अदालत के ज़मानत और अर्जी ख़ारिज करने पर हाई कोर्ट में चुनौती दी। याची के अधिवक्ता ने दलील दी है कि उन्हें झूठा फंसाया गया है। जांच रिपोर्ट और सीसीटीवी फुटेज भी अभियोजन की कहानी की पुष्टि नहीं करते। शासकीय अधिवक्ता ने ज़मानत का विरोध किया।
दलील दी है कि सीसीटीवी फुटेज में कई आपत्तिजनक दृश्य हैं। पीड़िता ने संकोचवश देर से मुक़दमा दर्ज़ कराया था कि उसकी छवि खराब ना हों।
कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि जहां तक अपीलकर्ता डॉक्टर शाहनवाज का सवाल है, वह मुख्य आरोपी है। हालांकि, वह 19 अगस्त 2024 से जेल में है। लेकिन यह उसे ज़मानत पर रिहा करने का कोई अच्छा आधार नहीं है।
मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए और अपराध की प्रकृति, साक्ष्य, आरोपी की मिली-भगत, सज़ा की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने सह आरोपी मेहनाज और फैजान ज़मानत अर्जी मंजूर कर ली।
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