AAP सरकार की नई शराब नीति से दिल्ली सरकार को क़रीब 2000 करोड़ का घाटा।

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा हाई कोर्ट ने सीएजी रिपोर्ट को लेकर बेहद गंभीर टिप्पणियां की थी। सीएजी रिपोर्ट को पेश करने में लापरवाही बरती गई है। सीएजी रिपोर्ट को जानबूझकर रोके रखा गया। रिपोर्ट को जानबूझकर छुपाया गया। हाई कोर्ट में साफ कहा गया है कि दिल्ली सरकार की तरफ से सीएजी रिपोर्ट को पेश करने में अत्यधिक देरी की गई है।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ ) TV 9 भारत समाचार नई दिल्ली। 

दिल्ली विधानसभा में मंगलवार को उपराज्यपाल बीके सक्सेना के अभी भाषण के बाद बहूप्रतीक्षित सीएजी की रिपोर्ट मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पेश की। जिसे स्वीकार करते हुए विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा पिछले सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2017 और 18 के बाद से सीएजी की रिपोर्ट विधानसभा की पटल पर रखी गई थी। उन्होंने सीएनजी रिपोर्ट की पृष्ठभूमि के बारे में सदन को बताया।

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा हाई कोर्ट ने सीएजी रिपोर्ट को लेकर बेहद गंभीर टिप्पणियां की थी। सीएजी रिपोर्ट को पेश करने में लापरवाही बरती गई है। सीएजी रिपोर्ट को जानबूझकर रोके रखा गया। रिपोर्ट को जानबूझकर छुपाया गया। हाई कोर्ट ने साफ कहा है कि दिल्ली सरकार की तरफ से सीएजी रिपोर्ट को पेश करने में अत्यधिक देरी की गई। यह खुशी की बात है कि नई सरकार पहले ही सत्र में पहले ही दिन सीएजी रिपोर्ट को सदन के पटल पर पेश कर रही है।

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विधानसभा अध्यक्ष ने कहा आज सिर्फ एक ही रिपोर्ट को सदन के पटल पर पेश किया जाएंगा। इसी तरह से आने वाले दिनों में सदन के पटल पर अलग-अलग रिपोर्ट को पेश किया जाएंगा। प्रधानमंत्री मोदी ने जो वादा किया है वह आज सरकार पूरा कर रही है।

विधानसभा में प्रस्तुत सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि नए शराब ने दिया दिल्ली सरकार को करीब 2002.68 करोड़ का घाटा हुआ है। नई शराब नीति में पहले एक व्यक्ति को एक लाइसेंस मिलता था लेकिन नई नीति में एक शख्स दो दर्जन से ज्यादा लाइसेंस ले सकता था। जबकि पहले दिल्ली में 60 फीसदी शराब की बिक्री कर सरकारी कॉर्पोरेशन से होती थी, लेकिन नहीं शराब नीति में कोई भी निजी कंपनी रिटेल लाइसेंस ले सकती हैं।

कमीशन 05 फीसद से बढ़कर 12 की गई……….

सीएनजी रिपोर्ट में कहा गया है कि शराब बिक्री का कमीशन 05 फ़ीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया है। थोक शराब का लाइसेंस शराब वितरक और शराब निर्माता कंपनियों को भी दे दिया गया है। जोकि नियमों का उल्लंघन है। नीति में कोई भी निजी कंपनी रिटेल लाइसेंस ले सकती है। लाइसेंस लेने से पहले आर्थिक या आपराधिक कोई जांच नहीं की गई। लिकर जॉन के लिए 100 करोड़ के निवेश की जरूरत होती थी। लेकिन नई पॉलिसी में इसे खत्म कर दिया गया है‌।

सीएजी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि शराब लाइसेंस देने में राजनीतिक दखल और भाई-भतीजा वाद हुआ है। सीएजी की रिपोर्ट पेश होने के बाद इस पर जब चर्चा शुरू हुई तो भाजपा विधायक अरविंद सिंह लवली ने सबसे पहले अपनी बात कही। उन्होंने कहा कि वे लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी का हिस्सा रहे हैं। दिल्ली सरकार का भी मंत्री रहा हूं। भगत सिंह ने क्या यह कहा था कि शराब घोटाले करके जेल जाओ। स्कूलों में घोटाले करें। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार का मुख्यमंत्री ऐसे विभाग का मंत्री बना दिया, जो है ही नहीं। चर्चा में बीजेपी विधायक अनिल शर्मा, तरविंदर सिंह मारवाह और अन्य विधायकों ने अपनी बात रखी।

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