90 करोड़ में बेच दी सहारा समूह की 1000 करोड़ की 310 एकड़ ज़मीन, जांच के घेरे में संजय पाठक।
सहारा समूह की बेची गई कुल 310 एकड़ ज़मीन में से 110 एकड़ भोपाल में मक्सी गांव में है। सूत्रों ने बताया है कि इस क्षेत्र की ज़मीन के रेट कलेक्टर गाइड लाइन में कई वर्ष से नहीं बढ़े हैं। यह भी बड़ा सवाल है। एक पूर्व मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों के दबाव के चलते ज़मीन के रेट नहीं बढ़ने की बात सामने आ रही है। इसका लाभ ज़मीन खरीदने वाले को मिला है।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार भोपाल (मध्य प्रदेश )।
भोपाल, जबलपुर और कटनी में सहारा समूह की 310 एकड़ ज़मीन को औने-पौने दाम में बेचने के पहले समूह की तरफ से 10 से अधिक सब्सिडियरी कंपनियां बनाई गई थी। इन्हें जमीन बेचने के लिए अधिकृत किया गया था। भाजपा विधायक संजय पाठक के स्वजन की हिस्सेदारी वाली दो कंपनियों को ज़मीन की रजिस्ट्री इन्हीं कंपनियों ने कराई थी। एक-एक रजिस्ट्री में विक्रेता के तौर पर 10 से अधिक कंपनियों के नाम है। अब आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ इन कंपनियों की भूमिका की जांच कर रहा है। इस मामले में जल्द ही FIR भी हो सकती है।
ईओडब्ल्यू यह पता कर रहा है कि बिक्री से प्राप्त राशि किन खातों में जमा कराई गई?
इसके बाद राशि कहां गई?
कंपनियां को ज़मीन के विक्रिय के लिए किसने अधिकृत किया था?
ज़मीन बिक्री के लिए 01 करोड़ रुपए ब्रोकरेज शुल्क की राशि किन खातों में गई?
यह राशि किन-किन खातों में घूमी?
सहारा समूह की बेची गई कल 310 एकड़ ज़मीन में से 110 एकड़ ज़मीन भोपाल में मक्सी गांव में है। सूत्रों ने बताया है कि इस क्षेत्र की ज़मीन के रेट कलेक्टर गाइड लाइन में कई वर्ष से नहीं बढ़े हैं। यह भी एक बड़ा सवाल है। एक पूर्व मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों के दबाव के चलते जमीन के रेट नहीं बढ़ने की बात सामने आ रही है। इसका लाभ जमीन खरीदने वाले को मिला।
दूसरा, यह आवासीय ज़मीन थी। जिसे कृषि भूमि बात कर बेचा गया है। वर्तमान मूल्य के हिसाब से बेची गई 310 एकड़ ज़मीन की क़ीमत लगभग 1 हज़ार करोड़ रुपए थी। जिसे 90 करोड़ रुपए में बेचा गया। इस तरह स्टांप और पंजीयन शुल्क के रूप में शासन को 90 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
सहारा इंडिया रियल स्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग कॉरपोरेशन इन्वेस्टमेंट समूह द्वारा विभिन्न शहरों में निवेशकों से धन जुटाकर सहारा सिटी बनाने के उद्देश्य से भूमि खरीदी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, इस ज़मीन की बिक्री से मिली राशि सेबी के खाते में जमा कराना था। जिससे निवेशकों को राशि लौटाई जा सके। राशि सहारा इंडिया रियल स्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन एवं निजी शैल कंपनियों के खातों में जमा कराई गई।
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