20 महीने से हिंसा, 200 से ज़्यादा मौतें, 3 मई की घटना से मणिपुर मुख्यमंत्री बीरेन सिंह।

जब मणिपुर में आदिवासी समूहों ने 28 अप्रैल 2023 को मुख्यमंत्री वीरेन सिंह के चुरा चांदपुर दौरे के दिन संरक्षित वनों पर राज्य सरकार के सर्वेक्षण और गांव से बेदखली के विरोध में 24 घंटे के पूर्ण बंद की अपील की गई। इससे कुछ दिन पहले ही यहां बेदखली अभियान शुरू हो गए थे। जब कथित रूप से चर्चा को ध्वस्त किया गया था। इसका आदिवासी समुदाय विरोध कर रहा था। मणिपुर की सबसे प्रमुख पहाड़ी जनजातीय कुर्की और लोग ईसाई समुदाय से हैं। जनवरी 2025, मणिपुर के मुख्यमंत्री वीरेन सिंह ने लोग नेताओं से संकट को हल करने में मदद करने की अपील की।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ ) TV 9 भारत समाचार मणिपुर ।

3 मई की घटना से मणिपुर मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफा तक की पूरी कहानी और बीरेन सिंह ने आख़िरकार अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। मैतेई-कुर्की समुदायों के बीच कमोबेश 2 साल लंबे संघर्ष के दौरान लगातार उनसे इस्तीफे की मांग की जा रही थी। स्थानीय विपक्ष समेत पूरे देश में उनसे मुख्यमंत्री पद छोड़ने के अपील की जा रही थी। वह लगातार कहते रहे कि उनकी सरकार राज्य में शांति कायम करने की कोशिश कर रही है। लेकिन आज वह गृहमंत्री अमितशाह से मिले और इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया।

मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी 53 फ़ीसदी है। लेकिन वह मणिपुर के लगभग 10 फीसदी हिस्से में ही रहते हैं। इस समुदाय की ज्यादा आबादी राजधानी इंफाल और आस-पास के इलाके में रहते हैं। यह समुदाय लंबे समय से खुद को एसटी केटेगरी में शामिल किए जाने की मांग कर रहा था। अगर इन्हें एसटी में शामिल किया जाता, तो मैतेई लोग पहाड़ी इलाकों में ज़मीन खरीद सकते थे। जहां आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं। इस मांग के कुर्की समुदाय लंबे समय से विरोध कर रहा था। मणिपुर में मैतेई प्रमुख जातीय समूह है और कुर्की सबसे बड़ी जनजातियों में से एक है।

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यह सब तब तक हुआ , जब मणिपुर में आदिवासी समूह होने 28 अप्रैल 2023 को मुख्यमंत्री वीरेन सिंह के चुरा चांदपुर दौरे पर एक दिन संरक्षित वनों पर राज्य सरकार के सर्वेक्षण और गांव से बेदखली लेकर विरोध में 12 घंटे के पूर्ण बंद किया अपील की गई। इससे कुछ दिन पहले ही यहां बेदखली अभियान शुरू हो गए थे। जब कथित रूप से चर्चा को ध्वस्त किया गया था, और इसका आदिवासी समुदाय विरोध कर रहा था। मणिपुर की सबसे प्रमुख पहाड़ी जनजातीय कुर्की और नागा समुदाय से है। इस पूरी घटना के टाइमलाइन पर एक नज़र डालते हैं………

2025, मणिपुर हिंसा में अब तक की घटनाएं!

17 जनवरी, 2025:  केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कुर्की जो परिषद के सदस्यों से कहा है कि संघर्ष ग्रस्त मणिपुर मैं किसी भी राजनीति वार्ता को शुरू करने के लिए हिंसा को खत्म करने की सख्त जरूरत है। 

मणिपुर के मुख्यमंत्री वीरेन सिंह प्ले लोग नेताओं से संकट क को हल करने में मदद करने की अपील की है।

8 फरवरी 2025:  मणिपुर के मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह ने कहा है कि उनके सरकार संघर्ष ग्रस्त पूर्वोत्तर राज्यों में शांति बहाल करने और यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कोशिश कर रही है कि लोग पहले की तरह एक साथ रहें।

9 फरवरी 2025:  एन वीरेन सिंह मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

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2023 और 2024

मणिपुर हिंसा के दौरान की घटनाएं……

28 अप्रैल 2023:  मणिपुर के कई जिलों में धारा 144 लागू की गई और इंटरनेट सेवाएं 5 दिन के लिए निलंबित कर दी गई। प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प हुई। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे।

3 मई 2023:  मणिपुर के अखिल आदिवासी छात्र संघ द्वारा आयोजित आदिवासी एकजुटता मार्च में हजारों लोग शामिल हुए। यह मार्च में मैतेई को एसटी कैटेगरी में शामिल किए जाने के विरोध में आयोजित किया गया था। अनुमान है कि इस रैली के दौरान चुराचांदपुर के तोरबंग इलाके में हिंसा भड़क उठी थी।

4 मई 2023:  मणिपुर सरकार ने देखते ही गोली मारने का आदेश जारी किया। हिंसा को रोकने के लिए सेना, सीआरपीएफ, असम राइफल्स और राज्य पुलिस के साथ रैपिड एक्शन फोर्स को तैनात किया गया।

मई 2023:  गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि म्यांमार से कुर्की लोगों के आने से मणिपुर के मैतेई लोगों में असुरक्षा की भावना पैदा हुई और हिंसा भड़क उठी।

जुलाई 2023:  मई में हुए एक हमले का चौंकाने वाला वीडियो सामने आया। जब दो कुर्की महिलाओं को उनके गांव को नष्ट करने के तुरंत बाद मैतेई पुरुषों द्वारा नग्न अवस्था परेड कराया गया। इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद देश भर के कई शहरों में बड़े स्तर पर प्रदर्शन भी हुए।

20 जुलाई 2023:  मणिपुर के मुख्यमंत्री वीरेन सिंह राज्य में इंटरनेट की पहुंच को सीमित करने के अपने फैसले का बचाव किया।

29 जुलाई 2023:  सीबीआई ने कुर्की महिलाओं को नग्न अवस्था में घूमाए जाने के मामले को अपने हाथ में ले लिया।

अगस्त 2023:  दो दौर की औपचारिक वार्ता के बाद कुर्की और मैतेई समूह द्वारा एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

7 अगस्त 2023:  सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और राहत व पुनर्वास पर विचार करने के लिए एक समिति का गठन किया।

7 सितंबर 2023:  मणिपुर के जिरिबाम जिले में कुर्की और मैतेई जाति समुदायों के बीच झड़प हुई।

17 सितंबर 2024:  केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि मणिपुर में हालात को हल करने के लिए कुर्की और मैतेई समुदायों के बीच बातचीत की जरूरत है।

5 अक्टूबर 2023:  मानवाधिकार कार्यकर्ता और ह्यूमन राइट्स अलर्ट के निदेशक बबलू लाइटोंगबाम के घर में तोड़फोड़ की गई।

11 नवंबर 2023:  हथियारबंद लोगों ने एक रिलीफ कैंप पर हमला किया और उसके बाद के दिनों में कैंप के 8 मैतेई निवासियों के शव मिलें। जिससे हड़कंप मच गया और दोबारा हिंसा हो गई।

31 दिसंबर 2024:  मणिपुर के मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह ने सैकड़ों लोगों की जान जाने के लिए राज्य के लोगों से माफ़ी मांगी।

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2022 और 2023 

मणिपुर में हिंसा शुरू होने के पहले की घटनाएं ….

7 नवंबर 2022:  मणिपुर सरकार ने 1970 और 1980 के दशक के पिछले आदेशों को दरकिनार करते हुए एक आदेश पारित किया, जिसमें प्रस्तावित चुराचंदपुर – खौपुम संरक्षित वन से गांवों को बाहर रखा गया था।

फरवरी 2023 :   बीजेपी की राज्य सरकार ने चुराचंदपुर, कांगपोकपी और टेंग्नौपाल जिलों में वनवासियों को अतिक्रमणकारियों घोषित करते हुए बेदखली अभियान शुरू किया।

मार्च 2023:   मणिपुर कैबिनेट ने तीन कुर्की उग्रवादी समूह के साथ ऑपरेशन के निलंबन समझौते से हटने का फैसला किया। 10 मार्च 2023 को मणिपुर सरकार ने कुर्की नेशनल आर्मी और जॉनी रिवॉल्यूशनरी फ्रंट के साथ ऑपरेशन के निलंबन समझौते से पीछे हट गई।

20 अप्रैल 2023:   मणिपुर हाई कोर्ट के एक जज ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने अनुरोध पर विचार करने का निर्देश दिया।

3 मई 2023 :   मणिपुर में मैतेई लोगों और कुर्की जो आदिवासी समुदाय के बीच जातीय हिंसा भड़क उठी। जिसकी वजह से मौतें और विस्थापन देखा गया। अखिल आदिवासी छात्र संघ मणिपुर द्वारा मैतेई लोगों की एसटी दर्ज की मांग का विरोध करने के लिए “आदिवासी एकजूटता मार्च” आयोजित किया गया। जहां हिंसा की शुरुआत हुई।

मई 2023 :   मणिपुर में मैतेई और कुर्की समुदायों के बीच 3 मई 2023 को भड़की जातीय हिंसा की वजह से कम से कम 221 मौतें, और 60,000 लोग विस्थापित हुए। हिंसा में आगजनी, बर्बरता, दंगा, हत्या और सामूहिक बलात्कार की घटनाएं देखी गई। कांगपोकपी जिले के सैकुल में लगभग 11 नागरिक घायल हो गए। दो अन्य की गोली लगने से मौत हो गई।

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